डीएनए हिंदी: देशभर में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं. अगर कोरोना के इस नए वेरिएंट के मामले यूं ही बढ़ते रहे तो भी क्या आप अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे. दरअसल ये सवाल हम आपसे यूं ही नहीं पूछ रहे हैं. एक सर्वे के अनुसार, ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते मामलों की वजह से बड़ी तादाद में अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजे जाने पर चिंता जताई है.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म 'लोकल सर्कल्स' द्वारा किए गए सर्वे में अभिभावकों ने दोबारा से स्कूल खोले जाने को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी और कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते हुए मामलों ने स्थिति को और खराब कर दिया है.
'लोकल सर्कल्स' द्वारा पूरे भारत में 9694 अभिभावकों पर किए सर्वे में ये निकल कर आया कि 49% लोग चाहते हैं कि अगर जिले में ओमिक्रॉन का कोई भी मामला आए तो स्कूलों को बंद कर दिया जाना चाहिए. सर्वे में 27 फीसदी लोगों ने स्कूलों को तुरंत बंद किए जाने की बात कही.
संस्था के फाउंडर सचिन तपारिया ने बताया कि बड़ी तादाद में अभिभावकों का कहना है कि ओमिक्रॉन की वजह से फिर से स्कूल लंबे समय तक बंद हो सकते हैं, इसलिए वो चाहते हैं कि जबतक जिले में ओमिक्रॉन का मामला न आए तबतक ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई करवाई जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि क्योंकि कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है, इसलिए इसके स्कूलों में फैलने का खतरा काफी ज्यादा है. ऐसे में प्रशासन को स्थिति पर नजर रखी चाहिए और सही समय पर फैसला करना चाहिए. लोकल सर्कल्स के सर्व में हिस्सा लेने वाले 9694 अभिभावक देश के 332 जिलों से थे. इनमें से 61 फीसदी पुरुष थे जबकि 39 फीसदी महिलाएं थीं.
सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों में महाराष्ट्र के 1,557 माता-पिता भी शामिल हैं, जिन्होंने अलग-अलग राय शेयर की. संस्था द्वारा जारी किए गए डाटा के अनुसार, महाराष्ट्र के 63% फीसदी अभिभावकों का मानना है कि स्कूलों को पहले ही बंद कर देना चाहिए था. इनमें 13% ऐसे अभिभावक भी शामिल हैं, जिन्होंने महसूस किया कि अधिकारियों द्वारा आस-पास के जिलों में ओमिक्रॉन का मामला आने पर स्कूल बंद कर देने चाहिए.
एक अभिभावक और मुंबई में अभिभावक संघ की सदस्य रंजना डे ने कहा, "स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय माता-पिता की बहुमत की सहमति के बिना लिया गया था. यहां तक कि जो स्कूल जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें वर्तमान में ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. हम जानते हैं कि बच्चों का विकास स्कूल में सबसे अच्छा होता है, लेकिन हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन की कीमत पर ऐसा नहीं कर सकते."
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