डीएनए हिंदी: ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की भीषण टक्कर से हुए हादसे में करीब 275 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे से जुड़ी कई दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं. कुछ ऐसी ही कहानी 24 साल के विश्वजीत मलिक की भी है जो कि मृत घोषित करके मुर्दाघर भेज दिए गए थे लेकिन उनके पिता को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह विश्वजीत मर गए. ऐसे में वह जब मुर्दाघर पहुंचे तो लाशों के बीच पड़े विश्वजीत के हिलते हाथ को देख वह समझ गए कि विश्वजीत जिंदा हैं. 

दरअसल, 24 साल के विश्वजीत मृत घोषित कर दिए गए थे लेकिन उनके पिता हिलाराम को विश्वास था कि वह जिंदा हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्वजीत के पिता ने कुछ घंटे पहले उन्हें शालीमार स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस में छोड़ा था. इसके कुछ घंटे बाद ही जब विश्वजीत के पिता हिलाराम को ट्रेन हादसे की खबर मिली तो उन्होंने तुरंत अपने बेटे को फोन लगाया जिसके बाद उसने फोन उठाया. विश्वजीत चोट के कारण वह ज्यादा कुछ बोल नहीं पा रहा था लेकिन वह जिंदा था. 

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एंबुलेंस से घटनास्थल पर पहुंचे पिता 

ऐसे में विश्वजीत के पिता ने तुरंत एक स्थानीय एम्बुलेंस चालक को बुलाया और 230 किमी दूर बालासोर पहुंच गए. यहां उन्होंने अपने बेटे विश्वजीत की तलाश शुरू की तो वह कहीं नहीं मिला. अपने बेटे के बारे में पूछताछ करने के बाद हिलाराम अस्थायी मुर्दाघर पहुंचे, जहां ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के शव रखे गए थे. 

लाशों के बीच से जिंदा बेटे को निकाला 

हिलाराम ने बताया कि पहले तो उन्हें वहां प्रवेश नहीं दिया गया पर कुछ देर की जदोजहद के बाद जब वह अंदर पहुंचे तो उनकी नजर एक पीड़ित पर पड़ी जिसका दाहिना हाथ हिल रहा था. हिलाराम ने जब उस हाथ की ओर देखा तो वह उन्हें विश्वजीत का लगा. उन्होंने तुरंत अधिकारियों को सूचित किया और विश्वजीत को तुरंत वहां से निकालकर बालासोर सरकारी अस्पताल (DHH) ले जाया गया.

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कोलकाता में चल रहा इलाज

ट्रेन हादसे में गंभीर रूप से घायल होने पर चिकित्सकों ने विश्वजीत को कटक रेफर कर दिया था. हालांकि प्राथमिक इलाज के बाद पिता हिलाराम अपने बेटे को अपने साथ घर ले गए. अब पीड़ित का कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है. जानकारी के मुताबिक कोलकाता पहुंचने तक विश्वजीत को होश नहीं आया था. सुबह करीब साढ़े आठ बजे उसे एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया. परिजनों ने बताया कि रविवार को विश्वजीत की ऐंकल सर्जरी की गई.

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इसके बाद सोमवार को दूसरे पैर की सर्जरी हुई. उसके दाहिने हाथ में कई फ्रैक्चर हो गए थे. फोरेंसिक मेडिसिन एक्सपर्ट सोमनाथ दास ने कहा कि मामला सस्पेंडेड एनिमेशन का है. सदमे की वजह से भी यह स्थिति हो सकती है कि अंग ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में कुछ समय के लिए अंग शिथिल हो जाते हैं और दवा के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है.

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Odisha Train Accident: बेटे की मौत पर नहीं हो रहा था भरोसा, घंटों बाद पिता ने मु
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बेटे की मौत पर नहीं हो रहा था भरोसा, घंटों बाद पिता ने मुर्दाघर से जिंदा खोज निकाला