डीएनए हिंदी: संसद के शीतकालीन सत्र में एक प्रस्ताव पेश हुआ है जिसे अगर पास कर दिया गया तो प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. संसद में 'राइट टू डिसकनेक्ट बिल' को लिस्ट किया गया है. पहली बार राइट टू डिसकनेक्ट बिल लोकसभा में 2019 में पेश किया गया था. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा के सामने यह प्रस्ताव रखा था.

संसद में पेश किए गए बिल में कर्मचारियों के अधिकारों का जिक्र है. ऑफिस में शिफ्ट खत्म होने के बाद कंपनी अपने कर्मचारियों को फोन, टेक्स्ट या ईमेल न करे. अगर कर्मचारी कॉल नहीं उठाता है तो उसके खिलाफ कंपनी किसी तरह का अनुशासनात्मक एक्शन नहीं ले सकती है. ऑफिस में शिफ्ट खत्म होने के बाद वे बॉस के कॉल को नजरअंदाज कर सकते हैं. बिल का मकसद कर्मचारियों के सिर से मानसिक तनाव कम करना है. बिल में कंपनियों को ऐसा करने के लिए बाध्य किया जाएगा.

बिल के क्या हैं प्रमुख प्रस्ताव?

1. यह कानून उन कंपनियों पर लागू होगा जहां 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. कंपनियों को एक एम्प्लॉई  वेलफेयर कमेटी बनानी होगी जो इन नियमों को लागू कराए.

2. एम्प्लॉई वेलफेयर कमेटी का गठन किया जाएगा जिसमें कंपनी के स्टाफ के प्रतिनिधि अनिवार्य होंगे.

3. कंपनियों को एक चार्टर बनाना होगा जिसमें उन्हें कर्मचारियों के लिए काम के नियम और शर्तों का जिक्र करना होगा. 

4. बिल के मुताबिक अगर कंपनी अपने कर्मचारी को शिफ्ट खत्म होने के बाद कॉल करती है तो कर्मचारी के पास यह अधिकार होगा कि वजह जवाब न दे. जवाब न देने पर कंपनी उसके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर सकती है. 

5. अगर शिफ्ट खत्म होने के बाद भी कर्मचारी काम कर रहा है तो वह ओवर टाइम चार्ज लेने का अधिकारी होगा.

6. आईटी, कम्युनिकेशन और लेबर मंत्री की कानूनों पर नजर रहेगी. वर्क शिफ्ट के बाद डिजिटल टूल्स के असर पर एक स्टडी भी प्रकाशित करनी होगी.

7. राइट टू डिस्कनेक्ट बिल में एक चार्टर आउटलाइन तैयार होगी जिसमें कर्मचारी-कंपनी के बीच की सभी शर्तें सार्वजनिक करनी होंगी. 

8. अगर बिल में प्रस्तावित नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो कर्मचारी के कुल वेतन का 1 प्रतिशत कंपनी को फाइन के तौर पर देना होगा. सरकार कर्मचारियों को काउंसलिंग और डिजिटल डिटॉक्स सेंटर की व्यवस्था कराए जहां वे डिजिटल व्यवधानों से खुद को मुक्त कर सकें.

क्यों इस बिल की है जरूरत?

अलग-अलग स्टडीज में यह बात सामने आई है कि कर्मचारियों का लगातार अपनी कंपनी से कनेक्ट रहना उनकी मानसिक सेहत पर विपरीत असर डालता है. वर्जीनिया टेक के विलियम बेकर कर्मचारियों के वेल-बीइंग पर काम कर रहे हैं. अगर ऐसे में यह कानून संसद से पारित होता है तो कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है. 

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Now you will have right to ignore employers calls after office hours read how
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DNA एक्सप्लेनर: ऑफिस के बाद बॉस नहीं करेंगे कॉल, बन सकता है कानून!
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