डीएनए हिंदी: देश की नई संसद के उद्घाटन (New Parliament Building Inauguration) को लेकर सियासत गर्म हो गई है. 28 मई को पीएम मोदी इसका उद्घाटन करेंगे और विपक्षी दलों को इसी बात पर एतराज है. उनका कहना है कि संसद का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, इसलिए उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) द्वारा ही होना चाहिए. मोदी सरकार और विपक्ष के बीच एक टकराव की स्थिति बन गई है. ऐसे में सरकारों का जो फ्लोर टेस्ट संसद या विधानसभाओं में होता है, मोदी सरकार का वही फ्लोर टेस्ट अघोषित तौर पर नई संसद के उद्घाटन समारोह के समर्थन या बहिष्कार से ही हो गया है लेकिन कैसे चलिए समझते हैं.
दरअसल, नई संसद के उद्घाटन समारोह का 21 विपक्षी दलों ने विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. इनमें कांग्रेस समेत अन्य क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियां हैं. वहीं मोदी सरकार के लिए राहत की बात यह भी है कि करीब 2 दर्जन से ज्यादा दलों ने इस संसद समारोह में शामिल होने पर सहमति जताई है. ऐसे में यह एक अघोषित फ्लोर टेस्ट की स्थिति बन गई है तो यह देखना अहम है कि इसमें पलड़ा किसका भारी है और कौन कहां खड़ा है.
कहां खड़े हैं मोदी सरकार और विपक्ष
पहले बात लोकसभा में पक्ष और विपक्ष की ताकत की करें तो अब तक के आंकड़े बताते हैं कि 376 सांसद यानी 68 फीसदी लोकसभा के सांसद नई संसद के उद्घाटन के समर्थन में हैं, जबकि विपक्ष के 168 लोकसभा सांसद यानी 31 प्रतिशत सांसद इसके उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं. इनमें कांग्रेस से लेकर टीएमसी, आप, डीएमके, सपा, एनसीपी, लेफ्ट आदि शामिल हैं.
इसके बाद यदि राज्यसभा को देखें तो पार्टियों के ऐलान के लिहाज से राज्यसभा के 131 सांसद यानी 55 फीसदी समारोह के समर्थन में हैं और 104 राज्यसभा सांसद यानी 45 प्रतिशत विरोध कर रहे हैं. ऐसे में मोदी सरकार को इस मुद्दे पर अघोषित फ्लोर टेस्ट में समर्थन मिलता दिख रहा है.
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NDA को विपक्षी दलों का भी मिल रहा है साथ
भले ही विपक्ष की 21 राजनीतिक पार्टियों ने नई संसद के उद्घाटन के लिए पीएम मोदी की आलोचना कर बहिष्कार करने का ऐलान किया हो लेकिन एनडीए के पास इस मुद्दे पर एक मोटा समर्थन है जिसमें कई विपक्षी दल भी शामिल हैं. राज्यों के लिहाज से ही देखें तो 18 राज्यों की सत्ताधारी पार्टियों ने इस समारोह को समर्थन दिया है. 60 फीसदी राज्य सरकारें मोदी सरकार के साथ खड़ी दिखती हैं, जबकि विरोध में 40 फीसदी ही हैं.
राजनीतिक दलों के आधार पर फ्लोर टेस्ट की बात करें तो 25 पार्टियों को नए संसद भवन समारोह का न्योता मंजूर है और वे इसमें शामिल होने की बात कर रही हैं. वहीं कांग्रेस समेत 21 पार्टियां ऐसी हैं, जो उद्घाटन का बहिष्कार करेंगी. राजनीतिक दलों के लिहाज से ही देखें तो विपक्षी दल फिलहाल इस सांकेतिक और अघोषित फ्लोर टेस्ट में पिछड़ते दिख रहे हैं.
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फ्लोर टेस्ट हारता दिख रहा है विपक्ष
हमने आपको लोकसभा से लेकर राज्यसभा, राज्यों की सरकारों और राजनीतिक दलों सभी का रुख स्पष्ट किया है जो कि इस बात का स्पष्ट संकेत दे रहा है कि इस मुद्दे पर कथित विपक्षी एकता के बावजूद विपक्षी दल मोदी सरकार के सामने पिछड़ती दिख रही है. वहीं सत्ता पक्ष नई संसद का फ्लोर टेस्ट समर्थन और बहिष्कार के पैमाने पर जीतता दिख रहा है.
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नई संसद के उद्घाटन से पहले कैसे हुआ 'फ्लोर टेस्ट', विपक्षी दलों ने भी दिया मोदी सरकार को बहुमत?