Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में अपने 29 साथियों के एनकाउंटर से नक्सली भड़क गए हैं. लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से तीन दिन पहले 16 अप्रैल को कांकेर में हुए एनकाउंटर का बदला लेने की घोषणा नक्सल संगठन ने कर दी है. नक्सलियों ने इस एनकाउंटर में 15 महिलाओं समेत 29 खूंखार उग्रवादियों की मौत का बदला भाजपा से लेने का ऐलान किया है. नक्सलियों ने एनकाउंटर के लिए राज्य की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. नक्सलियों ने इस एनकाउंटर के विरोध में कांकेर, नारायणपुर और मोहला-मानगढ़-अंबागढ़ चौकी में दूसरे चरण के मतदान से एक दिन पहले यानी 25 अप्रैल को बंद की घोषणा की है. नक्सलियों ने जल्द ही जन अदालत लगाकर भाजपा नेताओं को पुलिस द्वारा उनके साथियों की हत्या करने की सजा देने का भी ऐलान किया है. इससे पहले 19 अप्रैल को पहले चरण में बस्तर के पुवार्ती गांव के लोगों ने भी वोटिंग का बहिष्कार किया था. यह गांव माओवादी नेता हिडमा का है. इसके अलावा भी नक्सल नेताओं से जुड़े कई गांवों ने मतदान का बहिष्कार किया था.
जारी किया है धमकी का बाकायदा प्रेस नोट
नक्सल संगठन की तरफ से अपनी धमकी का बाकायदा प्रेस नोट जारी किया गया है. यह प्रेस नोट नक्सल उत्तर सब जोनल ब्यूरी को कथित प्रवक्ता मंगली ने जारी किया है, जिसमें कांकेर एनकाउंटर में मारे गए सभी नक्सलियों के नाम दिए गए हैं. प्रेस नोट में आरोप लगाया गया है कि मुखबिरी के जरिये दोपहर 2 बजे पुलिस ने घेरकर हमला किया, जिसमें हमारे 12 साथी मारे गए. पुलिस ने 17 घायलों को पकड़ने के बाद उनकी हत्या की.
आदेश दिया 'बंद रहेंगे तीन जिले, खोले प्रतिष्ठान तो...'
प्रेस नोट में नक्सलियों की तरफ से 25 अप्रैल को कांकेर समेत 3 जिलों को पूरी तरह बंद रखने का ऐलान किया गया है. ना दुकानें खुलेंगी और ना पैसेंजर बसें चलेंगी. हालांकि स्कूल बसों और एंबुलेंस को नहीं रोका जाएगा. आदेश नहीं मानने वालों को अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी गई है. बता दें कि 26 अप्रैल को कांकेर में दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव का मतदान होना है.
सुकमा जिले में 19 अप्रैल को कई जगह नहीं पड़े वोट
नक्सलियों के खौफ के कारण इससे पहले 19 अप्रैल को पहले मतदान के दौरान भी सुकमा जिले में कई जगह वोट नहीं डाले गए थे. बीजापुर जिले से सटे सुकमा जिले को माओवादी संगठनों को मजबूत गढ़ माना जाता है. PTI की न्यूज के मुताबिक, बस्तर लोकसभा सीट के दायरे में आने वाले इस जिले में माओवादी नेता हिडमा के पैतृक गांव पुवार्ती में वोटिंग नहीं हुई. हिडमा को बस्तर रीजन में सुरक्षा बलों पर हुए कई घातक हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है. पुवार्ती पोलिंग बूथ के बूथ लेवल ऑफिसर जावा पटेल ने इस बात की पुष्टि की है. पुवार्ती में तीन गांवों के करीब 547 वोटर्स के लिए पोलिंग बूथ बना था. पुवार्ती में 332, तेकलगुडियम में 158 और जोनागुडा में 157 वोटर हैं. इस बूथ पर केवल 31 लोगों ने वोट डाला, जिनमें से कोई भी पुवार्ती का रहने वाला नहीं था. पुवार्ती में कांकेर एनकाउंटर के विरोध में वोटिंग के बहिष्कार वाले पोस्टर माओवादियों की जागरगुंडा एरिया कमेटी ने लगा रखे थे. अधिकारियों का कहना है कि इसी कारण डर के चलते ग्रामीण वोट देने नहीं पहुंचे हैं.
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नक्सलियों की BJP को सीधी धमकी, जन अदालत लगाकर देंगे सजा, वोटिंग से पहले बंद का ऐलान