डीएनए हिंदी: Gujarat Riots 2002- गुजरात के गोधरा में फरवरी 2002 में ट्रेन को जलाने के अगले दिन हुए नरोटा नरसंहार के सभी आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है. अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा की पूर्व मंत्री समेत सभी आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के चलते बरी कर दिया है. गत 16 अप्रैल को अहमदाबाद स्पेशल कोर्ट के जज एसके बख्शी ने इस मामले में 20 अप्रैल को फैसला सुनाने की तारीख तय की थी. इसके लिए जमानत पर चल रहे सभी आरोपियों को अदालत में बुलाया गया था. गुरुवार को जज ने फैसले में कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाया है, इसलिए सभी को बरी किया जाता है. हालांकि पीड़ित पक्ष के वकीलों ने फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही है. 5 पॉइंट्स में जानिए इस मुकदमे के बारे में सबकुछ.
1. साल 2002 की घटना, 13 साल चली सुनवाई, 18 आरोपियों की हो चुकी है मौत
28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के करीब नरोदा गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा की सुनवाई करीब 21 साल चली. आठ साल जांच के बाद साल 2010 में मुकदमे की कार्रवाई शुरू हुई थी. करीब 13 साल सुनवाई के बाद अब फैसला आया है. इस दौरान दोनों पक्षों ने 187 गवाह पेश किए, जिनमें से 57 चश्मदीद गवाहों से बहस की गई. लगातार चली सुनवाई के दौरान 6 जज बदल गए, इसके बाद फैसला आया है.
2. बड़े-बड़े नाम शामिल थे आरोपियों में
इस घटना के 86 आरोपियों में बड़े-बड़े नाम शामिल थे. पुलिस ने इस सांप्रदायिक हिंसा का आरोप भाजपा नेता व गुजरात सरकार में तत्कालीन विधायक माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल भी शामिल थे. माया कोडनानी को SIT ने मुख्य आरोपी बनाया था. सुनवाई के दौरान आरोपियों में से 17 लोगों की मौत हो चुकी है.
3. गुजरात दंगों की शुरुआत थी नरोदा नरसंहार
नरोदा गांव में सांप्रदायिक हिंसा 27 फरवरी को हुए गोधरा ट्रेन कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी को हुई थी. गांव में गोधरा हिंसा के विरोध में बाजार बंद की घोषणा की गई थी. इसके बावजूद एक समुदायर के लोगों की दुकानें खुलीं तो सुबह 9 बजे हिंसा भड़क उठी. इसके बाद दो समुदायों के बीच जमकर पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ हुई. इसमें एक समुदाय के 11 लोग मारे गए थे. इसके बाद बराबर में मौजूद पाटिया गांव में भी नरसंहार हुआ. दोनों गांवों में कुल 97 लोगों की हत्या हुई थी. इन नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे. ऐसे में नरोदा-पाटिया नरसंहार को ही गुजरात दंगों की शुरुआत माना जा सकता है.
इन दंगों में 790 मुस्लिम और 254 हिंदुओं समेत 1,000 से ज्यादा लोग ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स के हिसाब से मारे गए थे. हालांकि मरने वालों की संख्या इससे भी ज्यादा मानी गई थी.
4. गवाह बोले- कोडनानी थीं नरोदा में, माया का दावा- मैं विधानसभा में थीं
इन दंगों की मुख्य आरोपी घोषित की गईं माया कोडनानी को दंगों के दौरान नरोदा में देखने का दावा कई चश्मदीद गवाहों ने किया था. इन लोगों ने कोर्ट में गवाही भी थी. आरोप था कि उन्होंने ही गोधरा हिंसा का बदला लेने के लिए भीड़ को नरोदा में उकसाया था. हालांकि माया कोडनानी ने दावा किया था कि दंगे के समय वे गुजरात विधानसभा में थीं. हालांकि दोपहर में वे सिविल अस्पताल में गोधरा ट्रेन कांड में मृत कार सेवकों के शव देखने पहुंची थीं.
5. अमित शाह ने दी थी कोडनानी के पक्ष में गवाही
मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुजरात दंगों से जुड़े केस में माया कोडनानी के पक्ष में गवाह के तौर पर पेश हुए थे. शाह ने यह गवाही एक अन्य केस में गुजरात हाई कोर्ट में दी थी. उस समय वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. उन्होंने कहा था कि माया उनके साथ सिविल अस्पताल में मौजूद थीं, जिसे उत्तेजित भीड़ ने घेर लिया था. इसके बाद उन्हें और माया को पुलिस ने अस्पताल से रेस्क्यू किया था और सुरक्षित जगह लेकर गई थी. इस केस में बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी की ताउम्र कैद की सजा को भी हाई कोर्ट ने घटाकर 21 साल कर दिया था.
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गुजरात नरोदा दंगाः पूर्व BJP मंत्री समेत सभी 86 आरोपी बरी, 5 प्वाइंट में जानें पूरा केस