डीएनए हिंदी : देश की मोदी सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक के दौरान देश में लड़कियों की शादी की उम्र  18 से 21 करने के एक विधेयक को मंजूरी दे दी है. अब इस फैसले के साथ मोदी सरकार के मंत्री अपने फायदे गिना रहे हैं तो वहीं इसका विरोध करने वालों ने अजीबो गरीब बयान देना शुरु कर दिए हैं. ऐसे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे  निजता का हनन बताया है. बोर्ड लगातार मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है. 

नैतिक मूल्यों का मामला है शादी 

शादी की उम्र बढ़ाने के फैसलों को लेकर पर्सनल लॉ बोर्ड मोदी सरकार पर ही भड़का हुआ है. बोर्ड के बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने इस मुद्दे को लेकर बयान दिया कि, "शादी जीवन की बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है लेकिन विवाह की कोई उम्र तय नहीं की जा सकती क्योंकि यह समाज के नैतिक मूल्यों के संरक्षण और नैतिक वंचना से समाज के संरक्षण से जुड़ा मामला भी है."

शादी करने से रोकना है क्रूरता

अपने बयान में बोर्ड के महासचिव ने मोदी सरकार के इस कदम को क्ररता तक बता दिया है. उन्होंने मुस्लिम समाज का जिक्र करते हुए कहा, "इस्लाम समेत विभिन्न धर्मों में शादी के लिए कोई उम्र तय नहीं की गई है। यह पूरी तरह से अभिभावकों के विवेक पर निर्भर करता है. अगर किसी लड़की के अभिभावक यह महसूस करते हैं कि उनकी बेटी 21 साल की उम्र से पहले ही शादी के लायक है और वह शादी के बाद की अपनी तमाम जिम्मेदारियां निभा सकती है तो उसे शादी से रोकना क्रूरता है और किसी वयस्क की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप भी है। इससे समाज में अपराध बढ़ने की भी आशंका है."

विरोध की हो रही है पराकाष्ठा

गौरतलब है कि मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर अजीबो-गरीब विरोध के तर्क सामने आते रहे हैं. इसमें प्रजनन क्षमता से लेकर लड़कियों के बिगड़ने का दावा किया गया था. वहीं अब इस मामले को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे नैतिक मूल्यों और निजता से जोड़कर मोदी सरकार का विरोध कर रहा है. 

Url Title
muslim personal law board girl marriage age 21 attacked modi gov
Short Title
AIMPLB ने बताया नैतिक मूल्यों का हनन
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Photo Credit: Zee News
Date updated
Date published