डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatagi) ने एक बार फिर अटॉर्नी जनरल बनने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. रोहतगी ने कहा कि उनके प्रस्ताव अस्वीकार करने के पीछे कोई खास वजह नहीं है. केंद्र ने के.के. वेणुगोपाल की जगह लेने के लिए इस महीने की शुरुआत में रोहतगी को अटॉर्नी जनरल (Attorney General) पद की पेशकश की थी.
केके वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है. मुकुल रोहतगी रोहतगी जून 2014 से जून 2017 तक अटॉर्नी जनरल थे. उनके बाद वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था.
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मेरे नाम पर विचार के लिए सरकार का शुक्रिया
मुकुल रोहतगी ने कहा, 'मैंने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. मैं इस पद के लिए अपने नाम पर विचार करने लिए केंद्र सरकार का शुक्रगुजार हूं. मैं फिर से इस पद को नहीं संभालना चाहता. मैंने इस पद को ग्रहण करने में अपनी लाचारी जता दी है.'
गुजरात दंगा मामले में सरकार का किया प्रतिनिधित्व
17 अगस्त 1955 को मुकुल रोहतगी का मुंबई में जन्म हुआ. वह दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अवध बिहारी रोहतगी के पुत्र हैं. मुकुल रोहतगी बहुत सीनियर और अनुभवी वकील माने जाते हैं. गुजरात दंगों के मामले में उन्होंने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया था. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कई हाईप्रोफाइल मामलों में पेश हुए हैं. रोहतगी ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग से जुड़े मामले में भी दलील दी थी.
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मुकुल रोहतगी ने अटॉर्नी जनरल बनने का प्रस्ताव ठुकराया, केंद्र सरकार ने की थी पेशकश