डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में प्रसूति सहायता योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. इस योजना में गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय 16 हजार रुपये दिए जाते हैं. आरोप है कि कागजों में फर्जी डिलीवरी करके कई महिलाओं के नाम पर पैसे कमाए गए हैं. इस मामले में सितंबर 2022 में जांच के आदेश दिए गए थे लेकिन 10 महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यहां की आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों ने लिस्ट देखकर कहा है कि उन्होंने इसमें से किसी का प्रसव करवाया ही नहीं है. इससे यह साफ होता है कि योजना के लाभान्वितों की फर्जी सूची बनाकर पैसे निकाले गए हैं.
मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले डिंडोरी में प्रसूति सहायता योजना में बीते तीन साल से फर्जीवाड़े का खेल फल फूल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अफसर मूकदर्शक बने हुए हैं, इससे लगता है इस खेल में कोई बड़ा इनवॉल्व है. आपको बता दें साल 2022 में प्रसूति सहायता योजना के तहत प्रसूता महिलाओं को दी जाने वाली सोलह हजार रुपये की सहायता राशि में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है.
डिंडोरी जिले में कागजों में प्रसव के खेल से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप
ज़ी मीडिया संवाददाता ने जब इस खबर की पड़ताल की तो हेल्थ विभाग हिल गया. विक्रमपुर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने 29 सितम्बर 2022 को मुख्यचिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी को जांच करने और दंडात्मक करवाई से संबंधित पत्र भी लिखा लेकिन उस कार्रवाई अब तक नहीं हुई है. यह तो एक विक्रमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य का खेल सामने आया है. खबर है पूरे जिले में ये खेल फलफूल रहा है. सवाल है कि कार्रवाई आखिर कब होगी?
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जिला कलेक्टर ने इस मामले की जांच के लिए जिला पंचायत सीईओ के नेतृत्व में कमेटी बनाई लेकिन वह कमेटी अब तक अपना काम नहीं कर पाई. हैरत की बात यह है कि दस महीने बीतने के बाद भी जांच पूरी ही नहीं हुई है. प्रशासनिक लापरवाही की वजह से फर्जीवाड़े के मास्टर मांइड का अब तक अब तक खुले में अपना खेल खेल रहा है. जो लिस्ट विक्रमपुर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने 29 सितंबर 2022 को मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भेजी उसमें 19 की सिर्फ कागजों पर प्रसव की पुष्टि हुई है. कागजों पर प्रसव को लेकर आशा कार्यकर्ता और हेल्थ वर्करों ने अपने बयानों में साफ़ लिखा है कि हमने इन महिलाओ की डिलेवरी नहीं कराई है. इसके बावजूद अबतक भ्रष्टाचार के खेल के खिलाड़ियों पर आंच नहीं आई है.
अधिकारी भी मान रहे गड़बड़ी की बात
प्रसूति सहायता योजना में लाभार्थी को 16 हजार रुपये सहायता राशि दी जाती है. गर्भधारण के बाद आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र में पंजीयन पर 4 हजार और प्रसव उपरांत महिला को 12 हजार रुपए दिए जाते हैं. पंजीयन के समय बनाई गई यूनीक आईडी का उपयोग कर संबंधित राशि महिला के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाती है लेकिन कई उपस्वास्थ्य केंद्रों में पंजीयन कर यूनिक आईडी के जरिये कई फर्जी महिलाओं का संस्थागत प्रसव दिखा दिया गया और उनके खातों में सोलह-सोलह हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए गए.
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जांच के दौरान उपस्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ हेल्थ वर्करों ने भी लिखित रूप से जानकारी दी है कि फर्जीवाड़े में जिन महिलाओं के नाम सामने आए हैं उनका पंजीयन नही किया गया. वहीं, मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मामले में जांच की बात कह रहे हैं उनका कहना है कि अबतक फर्जीवाड़े में 25 लोगों की जानकारी सामने आई है लेकिन आंकड़े बढ़ रहे है जो स्वास्थ्य विभाग बता नहीं रहा है. CMHO ने खुद स्वीकार किया है कि 25 महिलाओं का प्रसव दिखाकर पैसे निकाले गए हैं..
बसपा नेता असगर सिद्दीकी ने स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए फर्जीवाड़े में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार पर बढ़ाबा देने का आरोप लगाया है.
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MP के डिंडोरी में प्रसूति सहायता योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा, सिर्फ कागजों पर ही हुआ प्रसव