डीएनए हिंदी : पिछले कई वर्षों से भारत में जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य या मातृ स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसके ज़रिए मातृत्व स्वास्थ्य की ख़ास देखभाल की कोशिश हो रही है. इसका बेहतर असर विगत दिनों में देखने को मिला है. देश का मेटरनल मोर्टेलिटी रेट (मातृत्व ह्रास दर) 2017-19 के लिए बेहतर होकर 103 पर पहुंच गया है. यह प्रति लाख जन्म दर के आधार पर सुनिश्चित किया जाता है. भारत का उद्देश्य 2030 तक इस दर को और बेहतर कर न्यूनतम करना है. वर्तमान में न्यूनतम का वैश्विक लक्ष्य 70 रखा गया है. भारत को उम्मीद है कि वह इसे समय से पहले पा सकता है.
2015-17 के सालों में यह दर 122 थी
गौरतलब है कि किसी भी देश के हेल्थ इंडेक्स में मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate ) एक बेहद महत्वपूर्ण मानक है. भारत निरंतर इस पक्ष में बेहतर करने का प्रयास कर रहा है. 2015-17 के सालों में जन्म के समय मांओं की मृत्यु का यह आंकड़ा प्रति लाख पर 122 था. निरंतर कोशिशों ने इसे बाद के दो सालों में बेहतर और मांओं के स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग बनाया .
कभी हर लाख मां में 556 'जान' से हाथ धो बैठती थी
प्रसवकाल में मां और बच्चे की सुरक्षा और प्रसव के बाद मां के स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए निरंतर चल रही सरकारी योजनाओं ने न केवल बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया बल्कि जचगी के दौरान होने वाली मृत्यु दर(Maternal Mortality Rate ) को निरंतर कम किया. यह दर 1990 में 556 थी और 2004-06 में 254 थी. उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में यह बेहतरी सबसे अधिक दर्ज की गई है. 2016-18 में इन राज्यों में प्रति लाख पर यह दर क्रमशः 30, 23 और 19 अंक घटी
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