डीएनए हिंदी: Manipur News- मणिपुर में मई से चल रही हिंसा के बीच आशा की एक किरण जगी है. मणिपुर के सबसे पुराने विद्रोही आर्म्ड ग्रुप यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इस समझौते की घोषणा करते हुए बताया कि UNLF (United National Liberation Front) ने हिंसा की राह छोड़ने और मेनस्ट्रीम में शामिल होने पर सहमति जताई है. शांति समझौते पर बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और UNLF के कुछ सदस्यों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए हैं.. राज्य में 3 मई से चल रही कुकी-मैतेई हिंसा के बीच इस शांति समझौते को ऐतिहासिक माना जा रहा है. इससे राज्य में सशस्त्र हिंसा को खत्म करने में मदद मिलने की संभावना है.
छह दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का अंत?
UNLF और केंद्र व राज्य सरकार के बीच शांति समझौते को गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में 6 दशक से चल रहे सशस्त्र विद्रोह का अंत बताया है. उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, यह एक लैंडमार्क उपलब्धि है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका विकास वाले दृष्टिकोण को सच बना रही है. साथ ही उत्तरपूर्वी भारत के युवाओं के लिए एक बेहतर भविष्य की राह भी खोल ही है. शाह ने आगे कहा, उत्तरपूर्वी भारत में स्थायी शांति बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के अथक प्रयासों में बुधवार को UNLF के राष्ट्रीय राजधानी में संयुक्त शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ ही नया अध्याय जुड़ गया है.
शाह ने आगे लिखा, मणिपुर घाटी में एक्टिव सबसे पुराने आर्म्ड ग्रुप ने हिंसा की राह छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति जताई है. हम उनका लोकतांत्रिक प्रक्रिया में स्वागत करते हैं और उन्हें शांति व प्रगति की राह पर उनके सफर के लिए शुभकामना देते हैं.
'उत्तरपूर्व में शांति का नया युग शुरू होगा'
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी UNLF के साथ शांति समझौते को लेकर ऑफिशियल बयान जारी किया है. बयान में कहा गया है कि यह समझौता उत्तरपूर्वी भारत और खासतौर पर मणिपुर में शांति के नए युग की शुरुआत करेगा. गृह मंत्रालय ने अपने बयान में 2014 से अब तक उत्तरपूर्वी भारत में शांति बनाने और विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सशस्त्र समूहों के साथ सरकार को समझौते करने में मिली सफलता को भी याद किया. साथ ही कहा कि यह पहला मौका है, जब घाटी में एक्टिव मणिपुरी सशस्त्र समूह ने हिंसा छोड़कर, भारत के संविधान और कानून को मानने पर सहमति जताकर मुख्यधारा में वापसी करने की हामी भरी है. बयान में यह भी कहा गया है कि UNLF के मुख्यधारा में शामिल होने से घाटी में सक्रिय अन्य सशस्त्र समूहों के भी शांति प्रक्रिया में शामिल होने को बढ़ावा मिलेगा.
क्या है UNLF का इतिहास
UNLF का गठन 1964 में किया गया था. इस संगठन के प्रमुख लोग भारत और भारतीय सीमा के बाहर दूसरे देशों में बैठकर इसकी गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं. इसका मकसद मणिपुर को स्वायत्त एरिया बनाना है. NIA ने साल 2012 में इसके UNLF के अध्यक्ष आरके मेघान उर्फ साना याइमा को भारत के खिलाफ 'युद्ध छेड़ने' का आरोपी बनाया था, लेकिन उस समय UNLF ने बयान जारी करके कहा था कि भारत या उसकी सेना को संगठन अपना दुश्मन नहीं मानता है. केवल उसका विरोध भारतीय सेना की मणिपुर में मौजूदगी से है.
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मणिपुर हिंसा के बीच सबसे पुराने विद्रोही समूह ने रखे हथियार, सरकार के साथ किया शांति समझौता