डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में पांच साल बाद एक बार फिर हजारों किसान सड़कों पर उतर आए हैं. नासिक के करीब 10 हजार किसानों का जत्था भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) की अगुआई में मुंबई में प्रदर्शन करने के लिए पैदल चलकर आ रहा है. सोमवार को नासिक के डिंडोरी से शुरू हुआ यह पैदल मार्च करीब 203 किलोमीटर लंबे सफर के बाद मुंबई के आजाद मैदान में प्रदर्शन के साथ खत्म होगा. बुधवार शाम तक ये किसान मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर तक पहुंच चुके हैं. किसानों के इस पैदल मार्च के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें कई किलोमीटर लंबी किसानों की रैली सड़क पर रेंगते सांप जैसी दिखाई दे रही है.
VIDEO | Thousands of farmers from various districts of Maharashtra are on a foot march from Nashik city to Mumbai to highlight their woes. pic.twitter.com/QAKg41CRBt
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2023
यह साल 2018 में नासिक से मुंबई तक निकाले गए 'किसान लॉन्ग मार्च' जैसा ही लग रहा है. तब भी वामपंथी दलों ने ही पैदल मार्च का आयोजन किया था, जिसमें हजारों किसान शामिल हुए थे. वे लोग कर्जमाफी के साथ ही आदिवासी किसानों को वन भूमि पर मालिकाना हक दने की मांग कर रहे थे. तब किसानों का यह जत्था मुंबई पहुंचने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनकी मांगें मानने की घोषणा कर दी थी. अब फिर से किसानों का जत्था यही उम्मीद लेकर मुंबई की तरफ निकला हुआ है.
Nashik, Maharashtra | Farmers on foot march from Nashik to Mumbai to bring their demands in front of the government. Post reaching Mumbai the farmers will start their demonstrations in Azad Maidan for their various problems. pic.twitter.com/5Q6hsAz0gi
— ANI (@ANI) March 14, 2023
किसानों के साथ ही अन्य लोग भी शामिल
कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं का दावा है कि यह मार्च केवल किसानों की समस्याओं का नहीं है बल्कि इसमें अनियोजित सेक्टर के अन्य बहुत सारे मजदूर और नौकरीपेशा लोग भी शामिल हैं, जो सरकार की अनदेखी से परेशान हैं. इनमें जहां आदिवासी समुदायों के लोग हैं, वहीं आशा वर्कर भी शामिल हैं.
ये मांग कर रहा है जुलूस
- प्याज को MSP भाव के दायरे में लाकर सरकारी दाम घोषित किए जाएं.
- प्याज उत्पादकों को तत्काल 600 रुपये प्रति कुंतल की आर्थिक राहत मिले.
- सरकार नैफेड के माध्यम से 2000 रुपये प्रति कुंतल पर प्याज की खरीद करे.
- किसानों को कृषि के लिए रोजाना 12 घंटे की अबाधित बिजली सप्लाई दी जाए.
- कृषि कर्ज माफ हों और प्राकृतिक आपदा से फसल क्षति पर तत्काल मुआवजा मिले.
- बरसों से वनभूमि जोत रहे आदिवासियों को 4 हेक्टेयर तक की जमीन पर मालिकाना हक मिले.
- किसान सोयाबीन, कपास और तुअर दाल के गिरते दामों पर रोक लगाने की भी मांग कर रहे हैं.
- राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को तत्काल लागू किया जाए.
#WATCH | Thousands of Maharashtra farmers march towards Mumbai from Nashik to draw the government's attention towards the various problems faced by them pic.twitter.com/BO1sXYjVSL
— ANI (@ANI) March 14, 2023
सरकार का है ये रुख
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पहले ही कह चुके हैं कि प्याज के ज्यादा उत्पादन के कारण किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इसके चलते उन्होंने प्याज उत्पादकों को 300 रुपये प्रति कुंतल की आर्थिक राहत दिए जाने का ऐलान भी कर रखा है. मुख्यमंत्री ने पैदल मार्च निकाल रहे किसानों से बातचीत करने के लिए अपने दो कैबिनेट मंत्रियों दादा भूसे और अतुल सावे को तैनात किया है. मंत्रियों और किसानों के बीच मंगलवार को मीटिंग होनी थी, लेकिन कुछ कारणों के कारण यह आयोजित नहीं हो सकी.
विपक्ष साध रही है सरकार पर निशाना
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्षी दलों ने किसानों के इस पैदल मार्च का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरा है. नेता विपक्ष अजीत पवार और भाकपा विधायक विनोद निकोले ने सदन में कहा कि सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए. इसके जवाब में कैबिनेट मंत्री दादा भूसे ने कहा कि किसानों के साथ वे मीटिंग करेंगे और उनकी 14 मांगों को कानूनी दायरे में पूरा करने की कोशिश करेंगे.
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