डीएनए हिंदीः महाराष्ट्र में उद्धव सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच का टकराव कम नहीं हो रहा है. हाल ही में स्पीकर के चुनाव को लेकर सरकार और राज्यपाल में टकराव की स्थिति बनी हुई है. इसी बीच सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक पारित करा लिया, जो कहीं ना कहीं राज्यपाल की शक्तियों को कम करेगा. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने उद्धव सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने चर्चा किए बिना ही बिल पास करा दिया.
राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का विधेयक
जानकारी के मुताबिक, उद्धव सरकार ने विधानसभा में जो विधेयक पारित कराया है, उससे राज्यपाल की वो शक्तियां कम होंगी, जिससे वो विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की नियुक्ति करता है. इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्यपाल की चांसलर के रूप में शक्तियां कम होंगी. पिछले हफ्ते इस विधेयक को राज्य सरकार ने कैबिनेट से मंजूर कराया था, जिसके बाद इसे विधानसभा में पेश किया गया और विधानसभा में भी ये विधेयक पारित हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ये बेशर्म सरकार है... काला दिन है। हर विधेयक पर पहले चर्चा होती है और फिर पारित किया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम की चर्चा अचानक बंद कर दी गई. बिल में वीसी की नियुक्ति का मुद्दा है...जिसका मतलब है कि वीसी अब कठपुतली की तरह है.
विधेयक से क्या होगा असर
महाराष्ट्र सरकार ने जो विधेयक विधानसभा से पारित कराया है, उसमें राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का प्रस्ताव है. विधेयक के लागू होने के बाद राज्य में राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की भूमिका कम हो जाएगी. गौरतलब है कि जिस तरह सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी का चांसलर राष्ट्रपति होता है, वैसे ही राज्य के सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों का चांसलर गवर्नर होता है. हालांकि इससे पहले पश्चिम बंगाल, केरल और ओडिशा की सरकारें भी ऐसे कदम उठा चुकी हैं.
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