डीएनए हिंदी: 10 लाख के इनामी नक्सली और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) (CPI Maoist) जोनल कमांडर महाराज प्रमाणिक (Maharaj Pramanik) ने झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) के सामने आत्मसमर्पण (Surrender) कर दिया है. पुलिस का कहना है कि कुख्यात नक्सली का आत्मसमर्पण झारखंड की सरेंडर पॉलिसी का हिस्सा है. इस पॉलिसी के तहत मेनस्ट्रीम माओवादियों का सरेंडर कराया जा रहा है. शुक्रवार को सरेंडर करने वाले इस नक्सली के खिलाफ हत्या, जबरन वसूली, आर्म्स एक्ट, अपहरण सहित 119 ज्यादा मामले दर्ज हैं. इन मामलों में पुलिस को उसकी तलाश थी.
झारखंड पुलिस के लिए पिछले तीन महीने में यह दूसरी बड़ी उपलब्धि है. नवंबर में CPI (Maoist) केंद्रीय समिति के सदस्य प्रशांत बोस (Prashant Bose) उर्फ किशन दा को गिरफ्तार किया गया था. प्रशांत बोस को संगठन का रणनीतिकार माना जाता है. प्रशांत बोस के बारे में जानकार कहते हैं कि वह माओवादी गतिविधियों को बेहद गहराई से जानता है.
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पुलिस का कहना है कि महाराज प्रमाणिक पहली बार 2008 में आंगनवाड़ी सेविका मां को बचाने के लिए भाकपा (माओवादी) ग्रुप के संपर्क में आया था, क्योंकि उसके गांव में कुछ कथित अपराधी उसे मारना चाहते थे. गांव के लोगों ने उसकी मदद नहीं की तो वह माओवादी बन गया.
क्या था नक्सली प्रमाणिक का रोल?
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय होने के वजह से महाराज प्रमाणिक को ग्रामीणों को पार्टी में भर्ती कराने का काम सौंपा गया. महाराज प्रमाणिक ने पूरे इलाके में इस मूव को लेकर ऐसा काम किया कि माओवादी संगठन ने इस इलाके में अपना पांव जमा लिया. साल 2010 में प्रमाणिक कुंदन पाहन से मिला. यह नक्सली भी सरेंडर कर चुका है. फिर प्रमाणिक चांडिल इलाके का एरिया कमांडर बन गया.
साल 2011 में प्रमाणिक ने कोटेश्वर राव उर्फ किशन जी की मदद की. किशन सारंडा के जंगलों से पश्चिम बंगाल में लौटने की तैयारी में था. उसी गैंग में केंद्रीय कमेटी का मेंबर अनुल रमेश भी शामिल था. प्रमाणिक का दिमाग देखकर उसे बड़े नक्सली जानने लगे थे. उसने प्रशांत बोस उर्फ किशन दा से भी मुलाकात की. नवंबर 2021 में झारखंड पुलिस ने इसे गिरफ्तार किया था. साल 2015 में ही उसे जोनल कमांडर संगठन ने बनाया था.
माओवादियों के लिए क्यों झटका है प्रमाणिक का सरेंडर?
आईजी (ऑपरेशन) अमोल होमकर ने दावा किया है कि लगातार हो रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन, डर और आंतरिक शोषण की वजह बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. महाराज प्रमाणिक, रमेश, चंडिल और मुंडू इलाके के जोन कमांडरों का सरेंडर रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है. लगातार छापेमारी की वजह से 6 महीने के भीतर 6 से ज्यादा बड़े नक्सली सरेंडर कर चुके हैं. प्रमाणिक का सरेंडर करना भी सीपीआई (माओवादी) को कमजोर करेगा.
पुलिस ने यह भी कहा है कि प्रमाणिक की गिरफ्तारी अनुल की टीम को कमजोर कर देगी. यह टीम रांची, खूंटी, सरायकेला-खरसावां के सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहद एक्टिव रहती है. चंडिल-बुंडू इलाके में भी यह टीम एक्टिव रहती है.
सरेंडर करने के बाद क्या बोला नक्सली?
पुलिस की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक प्रमाणिक ने सरेंडर करने के बाद कहा था कि वह अपने घर की मुश्किलों से जूझ रहा था इस वजह से सीपीआई (माओवादी) में शामिल हुआ था. पार्टी ने अपनी दिशा खो दी है. यह शोषण और जबरन वसूली का केंद्र बन गई है. ऐसे समूह से जुड़े युवाओं से अपील है कि वे मुख्यधारा में लौट आएं.
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10 लाख इनाम..119 केस में Wanted, कौन है नक्सली महाराज प्रमाणिक?