डीएनए हिंदी: एक श्रद्धांजलि सभा में 'भारत माता' और भूमा देवी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देना पादरी जॉर्ज पोन्नैया को भारी पड़ गया है. उनके खिलाफ दर्ज हुई FIR को मद्रास हाईकोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया. मद्रास हाइकोर्ट ने उल्टा इसे IPC की धाराओं के तहत अपराध बताया है. दरअसल पादरी ने कन्याकुमारी में एक सामाजिक कार्यकर्ता के निधन पर हुई श्रद्धांजलि सभा में हिन्दू देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे.
FIR रद्द करने की मांग
भड़काऊ भाषण देने के मुद्दे पर पादरी के खिलाफ 295 A के तहत केस दर्ज कर इन्हें हिरासत में लिया गया था. ऐसे में अपने खिलाफ दर्ज हुई FIR रद्द करने को लेकर पादरी ने मद्रास हाइकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी जिसे मद्रास हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 'भारत माता' और 'भूमा देवी' के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना IPC की धाराओं के अतंर्गत एक अपराध है इसलिए FIR रद्द नहीं की जा सकती है.
आस्था पर चोट की कोशिश
वहीं मद्रास हाइकोर्ट के जज स्वामीनाथन ने पादरी के बयान को हिन्दुओं की आस्था पर चोट करने वाला बताया है. सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, "याचिकाकर्ता ने धरती मां के सम्मान में नंगे पैर चलने वालों का मजाक उड़ाया. याचिकाकर्ता ने कहा है कि ईसाई जूते पहनते हैं ताकि उन्हें तकलीफ न हो. उन्होंने भूमा देवी और भारत मां को संक्रमण और गंदगी के स्रोत के रूप में दिखाया. हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए इससे अधिक अपमानजनक कुछ नहीं हो सकता."
जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा, "सभी आस्थावान हिंदू ‘भूमा देवी’ को देवी मानते हैं. ‘भारत माता’ में बहुत बड़ी संख्या में हिंदुओं की एक गहरी भावनात्मक आस्था है. उन्हें अक्सर राष्ट्रीय ध्वज धारण करने और शेर की सवारी करने के लिए चित्रित किया जाता है. वह कई हिंदुओं के लिए एक देवी हैं."
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता पादरी ने इसे धार्मिक आलोचना कहते हुए अपनी तुलना डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से की थी. वहीं हाइकोर्ट ने पादरी के तर्कों के खारिज करते हुए कहा है कि पादरी का अपनी तुलना महान विभूतियों से करना समझ से परे है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों को सिरे से खारिज करते हुए पादरी को लताड़ लगाई है.
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