डीएनए हिंदीः मध्य प्रदेश सरकार की यूपी की तर्ज पर कानून लाने जा रही है. शिवराज सरकार प्रदर्शन, हिंसा अथवा दंगा में किसी सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर संबंधित लोगों से ही इसकी भरपाई करेगी. बुधवार या आज इस बिल को विधानसभा में पेश किया जा सकता है. इस संबंध में गृह और विधि एवं विधायी कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसकी जानकारी दी. इसी के साथ नुकसान वसूली का फैसला लेने वाला मध्य प्रदेश, यूपी और हरियाणा के बाद तीसरा राज्य बन गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दंगों और हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों की संपत्ति से करने का कानून बनाया था.
योगी सरकार लाई थी सबसे पहले कानून
दंगाईयों से संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए सबसे पहले यूपी की योगी सरकार 'उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेजेज टु पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश-2020' (Recovery of Damages Caused to public Properties) लेकर आई थी. इसके तहत जुलूस, प्रदर्शन, बंदी, हड़ताल के दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ वसूली का आदेश होते ही उनकी संपत्तियां कुर्क किए जाने का प्रावधान था. हालांकि एमपी की तरह उत्तर प्रदेश में ट्रिब्यूनल के आदेश को कहीं भी चैंलेंज नहीं किया जा सकता था.
बिल में होंगे ये प्रावधान
शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान एवं नुकसान वसूली विधेयक 2021 मंजूरी दे दी है.
सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से की जाएगी भरपाई.
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही नुकसान की भरपाई के आकलन के दावों को निपटाने के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया गया जाएगा.
इनमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय के साथ ही सहकारी संस्थाओं, कंपनियों की संपत्तियों को पहुंचने वाला नुकसान शामिल है.
ट्रिब्यूनल के आदेश को हाईकोर्ट में ही चैलेंज किया जा सकेगा.
90 दिन के भीतर ही हाईकोर्ट में की जा सकेगी अपील.
ट्रिब्यूनल को नुकसान से दो गुना राशि तक का आदेश पारित करने का अधिकार दिया गया.
आदेश पारित होने के 15 दिन में नुकसान का भुगतान नहीं हुआ तो आवेदनकर्ता को हर्जाना राशि पर ब्याज और क्लेम्स ट्रिब्यूनल में हुए खर्च की वसूली के अधिकार होंगे.
15 दिन तक नुकसान की तय राशि जमा न करने पर जिला कलेक्टर को वसूली के लिए आरोपी की चल-अचल संपत्ति की कुर्की और नीलामी का अधिकार होगा.
क्लेम्स ट्रिब्यूनल को कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 1908 के तहत सिविल कोर्ट के अधिकार और शक्तियां प्रदान की जाएंगी.
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