डीएनए हिंदीः लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की जमानत को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई है. हिंसा में मारे गए किसानों के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता वकील शिव कुमार त्रिपाठी और CS पांडा ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई थी. बता दें कि त्रिपाठी ने ही सबसे पहले इस लखीमपुर कांड की जांच की गुहार भी लगाई थी. आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के बाद विपक्ष के नेताओं समेत किसान नेताओं ने विरोध जताया था.
हाईकोर्ट ने दी थी जमानत
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की 15 फरवरी को 129 दिन बाद जेल से रिहाई हुई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को जमानत दी थी. पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को 9 अक्टूबर के दिन गिरफ्तार किया गया था.
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क्या है पूरा घटनाक्रम, क्या है कोर्ट की टिप्पणी?
1. 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों की हत्या में आशीष मिश्रा की कथित भूमिका चुनावी मौसम के दौरान एक बड़े विवाद में बदल गई. इस मामले ने इसलिए भी तूल पकड़ा क्योंकि आशीष मिश्रा के पिता केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री हैं.
2. आशीष मिश्रा पर एक महिंद्रा थार एसयूवी चलाने का आरोप है. इसी कार की चपेट में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी आ गए थे. 4 किसान और एक पत्रकार की इस एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. घटना के कुछ दिनों बाद ही आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया था.
3. हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. घटना के वीडियो में एक बेलगाम एसयूवी किसानों को कुचलती नजर आ रही है. लखीमपुर खीरी में हुए इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई थी. किसानों को कुचले जाने के बाद हिंसा भड़क गई थी जिसमें भारतीय जनता पार्टी(BJP) के 2 कार्यकर्ताओं समेत 3 लोगों की मौत हो गई थी.
4. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग सहित आशीष मिश्रा के खिलाफ पुलिस द्वारा तैयार किए गए कुछ आरोपों पर सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा, 'मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को पूरी तरह से देखते हुए यह साफ है कि FIR के मुताबिक प्रदर्शनकारियों की हत्या के लिए आशीष मिश्रा जिम्मेदार ठहराए गए हैं. जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि किसी को चोट नहीं लगी है न ही किसी मृतक या घायल शख्स के शरीर पर निशान पाए गए हैं.
5. हाई कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा पर एसयूवी ड्राइवर को किसानों को कुचलने के लिए उकसाने का आरोप है. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आवेदक ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए गाड़ी के ड्राइवर को उकसाया. ड्राइवर और गाड़ी में सवार अन्य 2 लोगों को प्रदर्शनकारियों ने मार डाला.
6. हाई कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा को समन पर जांच अधिकारी के समक्ष पेश किया गया. चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है. ऐसी परिस्थितियों में, कोर्ट का यह विचार है कि आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है.
7. हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि गाड़ी में सवार 3 लोगों की हत्या से नजरें नहीं हटा सकता है जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने मार डाला है. हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की मौत हुई है. कोर्ट ने कहा कि तस्वीरों से साफ तौर पर प्रदर्शनकारियों की क्रूरता का पता चलता है.
8. कोर्ट ने कहा कि केवल 4 लोगों पर आरोप हैं. प्रोटेस्ट के संयोजकों को बीजेपी कार्यकर्ताओं की पिटाई करने वाले लोगों की पहचान कराने में मदद करनी चाहिए.
जमानत पर विपक्ष ने उठाए सवाल
आशीष मिश्रा की जमानत पर विपक्ष ने ऐतराज जताया है. विपक्ष का आरोप है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) खुद को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है. एक रैली में इस मुद्दे को उठाते हुए प्रियंका गांधी ने सवाल किया था कि मंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया है. तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी मंत्री पुत्र की जमानत पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि जमानत के 3 बुनियादी सिद्धांत हैं जो किसी आरोपी को जमानत देने से रोकते हैं. गवाहों को डराना, सबूतों को नष्ट करना और जोखिम. आशीष मिश्रा जमानत की पहली शर्त नहीं पूरी कर पा रहे हैं.
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लखीमपुर खीरी हिंसाः किसानों के परिजनों ने Ashish Mishra की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती