Kolkata Doctor Rape Murder Case: कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ अस्पताल में दरिंदगी से बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या करने के मामले से पूरे देश में रोष है. कोलकाता ही नहीं पूरे देश में डॉक्टर इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं. शनिवार (17 अगस्त) को ममता बनर्जी की सरकार ने एकसाथ 42 प्रोफेसरों और डॉक्टरों का ट्रांसफर कर दिया है, जिसमें प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर भी शामिल हैं. इसे आंदोलन को दबाने की कोशिश बताया जा रहा है, जिससे डॉक्टर और ज्यादा भड़क गए हैं. बता दें कि बलात्कर और हत्या की इस घटना के बाद से ही पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी TMC की सरकार सबके निशाने पर है. आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी पूरे देश में हड़ताल घोषित कर रखी है. कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने भी केस कोलकाता पुलिस से लेकर CBI को सौंपने के साथ ही दो बार ममता सरकार को फटकार लगाई है. इन सबको लेकर ममता बनर्जी बेहद नाराज हैं और इसके लिए BJP व वाम दलों को जिम्मेदार ठहरा रही हैं. ऐसे में उनकी डॉक्टरों का ट्रांसफर करने की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं.
अलग-अलग अस्पताल-कॉलेजों के हैं ट्रांसफर किए गए डॉक्टर
राज्य सरकार ने शनिवार को जिन 42 प्रोफेसरों और डॉक्टरों का ट्रांसफर किया है, वे राज्य के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कार्यरत हैं. इनमें महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी का घटनास्थल रहे RG Kar Medical College and Hospital के भी दो प्रोफेसर और डॉक्टर डॉ. संगीता पॉल व डॉ. सु्प्रिया दास का नाम शामिल है. ये दोनों डॉक्टर अस्पताल पर 9 अगस्त से चल रहे धरने में लगातार शामिल हैं. डॉक्टरों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान और मिड सेशन में अचानक ट्रांसफर करने का कोई कारण भी स्पष्ट नहीं किया गया है.
क्या कह रहे हैं धरने पर बैठे डॉक्टर
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में शामिल डॉ. किंजल नंदा ने कहा है कि जिन सीनियर प्रोफेसर और डॉक्टरों का ट्रांसफर किया जा रहा है, उन्होंने हमारा और हमारे आंदोलन का समर्थन किया था. हमें नहीं पता कि इसके पीछे क्या साजिश है? हमें ट्रांसफर का कारण नहीं पता. हमारे साथ जो भी हो रहा है, उसके लिए हम हर तरह का न्याय चाहते हैं.
खुद रखेंगे कोर्ट में अपना पक्ष
RG Kar हॉस्पिटल पर प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है. साथ ही यह भी तय किया है कि हाई कोर्ट के सामने वे अपना पक्ष खुद रखेंगे. इसके लिए प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कानूनी टीम भी बनाई है, जो अगली सुनवाई में जाकर डॉक्टरों की बात कहेगी.
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आंदोलन दबाने में जुटी ममता सरकार? एकसाथ 42 प्रोफेसर-डॉक्टरों का तबादला