डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मंगलवार को एक दिवसीय दौरे पर महाराष्ट्र पहुंचे. यहां पुणे के देहू गांव में पीएम मोदी ने संत तुकाराम महाराज की मूर्ति का लोकार्पण और मंदिर का उद्घाटन किया. PM मोदी ने कहा कि श्रीसंत तुकाराम महाराज मंदिर का उद्घाटन करके धन्य हो गया. उनके उपदेश हमें प्रेरणा देते हैं. संत तुकराम अपनी भक्ति कविताओं के लिए भी जाने जाते हैं. आइये बताते हैं संत तुकाराम (Sant Tukaram) कौन हैं?
कौन थे संत तुकाराम महाराज?
संत तुकाराम 17वीं सती के संत और कवि थे. उनका जन्म पुणे के देहू गांव में वर्ष 1598 में हुआ था. उनके पिता का नाम बोल्होबा और माता का नाम कनकाई था. बताया जाता है कि संत तुकाराम ने अपनी पहली पत्नी के मृत्यु के बाद जीजाबाई से दूसरी शादी की थी. लेकिन दूसरी शादी के बाद उनके घर में कलह होना लगा. जिसके बाद तुकाराम घर छोड़कर निकल गए और नारायणी नदी के उत्तर में स्थित मानतीर्थ पर्वत पर जाकर भजन-कीर्तन करने लगे. इनकी इस भक्ति को देख लोगों की इनमें गहरी आस्था हो गई.
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वरकरी समुदाय के लोग करते हैं संत तुकाराम की पूजा
आपको बता दें कि संत तुकाराम को महाराष्ट्र में वरकरी समुदाय के लोग ज्यादा मानते हैं. वही लोग संत की पूजा करते हैं. संत तुकाराम महाराज के निधन के बाद एक शिला मंदिर बनाया गया था, लेकिन इसे औपचारिक रूप से मंदिर के रूप में नहीं तैयार किया गया था. हालांकि इसमें संत तुकाराम की मूर्ति मौजूद थी. पीएम मोदी ने आज मूर्ति का लोकार्पण और मंदिर का उद्घाटन करके औपचारिक रूप से मंदिर का ऐलान कर दिया.
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'ऊंच-नीच का भेदभाव करना सबसे बड़ा पाप'
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि संत तुकाराम महाराज कहते थे कि समाज ऊंच-नीच का भेदभाव करना सबसे बड़ा पाप है. उनका यह उपदेश जितना महत्वपूर्ण भगवतभक्ति के लिए है, उतना ही जरूरी राष्ट्रभक्ति और समाजभक्ति के लिए भी है. उन्होंने कहा कि देहू का शिला मंदिर न केवल भक्ति के लिए शक्ति का केंद्र है, बल्कि देश के सांस्कृतिक भविष्य को भी प्रशस्त करता है.
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कौन हैं संत तुकाराम महाराज? जिनके मंदिर का उद्घाटन करते हुए PM मोदी ने कहा- मैं धन्य हो गया