Uttar Pradesh Assembly Bye Elections 2024: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक ही बात कहकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर निशाना साध रहे हैं. अखिलेश कह रहे हैं कि उपचुनाव के बाद योगी की कुर्सी चली जाएगी, क्योंकि उनके ही घर के भेदी उनकी कुर्सी के नीचे डायनामाइट लगा रहे हैं. अब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने जो बयान दिया है, उसके बाद फिर से अखिलेश यादव का बयान चर्चा में आ गया है. केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को मुख्यमंत्री के 'बंटोगे तो कटोगे' नारे से खुद को अलग कर लिया. उन्होंने साफ कहा कि मुख्यमंत्री ने किसी खास संदर्भ में ये नारा दिया होगा. इस बारे में जो कहना है, उन्होंने (योगी ने) कह दिया है. ऐसे में अब मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. साथ ही उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' के समर्थन में हैं. यही हमारा नारा है.
#WATCH | Prayagraj: On UP CM Yogi Adityanath's 'batoge toh katoge' slogan, Uttar Pradesh Deputy CM KP Maurya says "...Whatever CM Yogi Adityanath has said, you should ask him regarding that. We just want to work together for the state."
— ANI (@ANI) November 16, 2024
On by-elections in the state, he says "BJP… pic.twitter.com/fTOzLxTy4v
36 का रहा है सीएम और डिप्टी सीएम का आंकड़ा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच राजनीतिक खींचातानी नई बात नहीं है. उत्तर प्रदेश में साल 2017 में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद से ही दोनों नेताओं के बीच आपसी खींचतान चलती रही है. प्रदेश में दोबारा भाजपा के सत्ता हासिल करने के बाद फिर से यह खींचातानी दिखाई दी थी. हालांकि हिंदुत्ववादी छवि रखने वाले योगी आदित्यनाथ के पक्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से लेकर साधु-संतों के अखाड़ों तक का समर्थन रहा है. इस साल लोकसभा चुनावों के दौरान यूपी में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद फिर से केशव प्रसाद मौर्य ने अपने बयानों से योगी की गद्दी हिलाने की कोशिश की थी. इस दौरान केंद्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा था और दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाकर समझाया गया था. इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य शांत भले ही हो गए थे, लेकिन योगी के साथ उनके मतभेद अब फिर से सामने आते दिख रहे हैं.
सहयोगी दलों से लेकर भाजपा के अंदर तक है 'बंटोगे तो कटोगे' पर बंटी हुई राय
योगी आदित्यनाथ ने चुनावी रैलियों में लगातार हिंदुओं को 'बंटोगे तो कटोगे' का नारा देकर एकजुट करने की कोशिश की है. उन्होंने शनिवार को कानपुर के सीसामऊ में भी एक बार फिर यह नारा दोहराया है. इस नारे को हिंदू समुदाय में बेहद चर्चा भी मिली है, जिससे विपक्ष दल बेहद विचलित दिखे हैं. इसके चलते विपक्षी दलों ने अपने आक्रमण का पूरा दमखम इसी नारे को खोखला साबित करने में लगा रखा है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस समय दो राज्यों के विधानसभा चुनावों और कई राज्यों के उपचुनावों की पूरी राजनीति इसी नारे के इर्द-गिर्द घूम रही है. संघ परिवार भी इस नारे का समर्थन कर चुका है. दूसरी तरफ योगी के इस नारे पर भाजपा के सहयोगी दलों से लेकर खुद पार्टी के अंदर भी बंटी हुई राय दिख रही है. महाराष्ट्र में तो भाजपा के सहयोगी दल NCP (Ajit Pawar) के अध्यक्ष अजित पवार सीधे तौर पर इस नारे का विरोध कर चुके हैं. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण ने भी इस नारे का समर्थन नहीं करने की बात कही है. अब केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस नारे का एक तरीके से विरोध कर दिया है.
क्या सच में उपचुनाव के बाद बदलेगा यूपी में सत्ता का सिंहासन?
केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद फिर से यह सवाल चर्चा में आ गया है कि क्या सच में विधानसभा उपचुनाव के बाद यूपी में मुख्यमंत्री बदलने जा रहा है? मौर्य के विरोधी रुख को पार्टी के अंदर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बढ़ती आवाजों का आइना माना जा सकता है. योगी की कार्यशैली पर बहुत सारे विधायक आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन वे सीधेतौर पर उनसे उलझने से भी बचते रहे हैं. भाजपा का इतिहास देखा जाए तो यहां बहुत सारे पावरफुल मुख्यमंत्रियों और शक्तिशाली नेताओं को इस तरह की स्थिति में एक झटके में केंद्रीय नेतृत्व मुख्यधारा से बाहर करता रहा है. हालांकि इसका पार्टी को नुकसान भी उठाना पड़ा है, लेकिन कल्याण सिंह, उमा भारती जैसे कई नाम इसका शिकार हो चुके हैं. ऐसे में अखिलेश यादव का तंज कभी भी सच साबित हो सकता है.
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'योगी के घर में भेदी' अखिलेश यादव के इस तंज की मौर्य के बयान के बाद क्यों हो रही चर्चा?