डीएनए हिंदी: कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की तस्वीर छपी होने का मुद्दा पिछले एक साल से जारी है. ऐसे में केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) की सिंगल बेंच ने इस मुद्दे को तरजीह न देते हुए मामला खारिज कर दिया था. वहीं अब केरल हाईकोर्ट की दूसरी बेंच ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि देश के नागरिक इतने भी असहिष्णु नहीं हैं कि प्रधानमंत्री की तस्वीर छपने पर विरोध में खड़े हो जाएं.
केरल हाईकोर्ट में खारिज याचिका
दरअसल, केरल हाईकोर्ट ने नागरिकों को जारी किए गए COVID-19 टीकाकरण प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी होने के खिलाफ सिंगल न्यायाधीश की बेंच के याचिका अस्वीकार करने को चुनौती देने वाली एक अपील को खारिज कर दिया और इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि एक व्यक्तिगत मौलिक अधिकार बड़े सार्वजनिक हित के अधीन है.
इस मुद्दे को लेकर चीफ जस्टिस एस. मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी. चाली की खंडपीठ ने कहा कि प्रधानमंत्री के शिलालेख और फोटोग्राफ भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत एक नागरिक को दी गई अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करते हैं.
इतने असहिष्णु नहीं हैं नागरिक
अपने फैसले के साथ केरल हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि तस्वीर को केवल भारत सरकार द्वारा अपने दायित्वों, कर्तव्यों और कार्यों का निर्वहन किए जाने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है.नागरिक इस हद तक असहिष्णु नहीं हो सकते कि वे एक प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर को सहन न करें.
आपकों बता दें कि केरल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने पिछले साल 21 दिसंबर को पीटर मायलीपरम्पिल द्वारा दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह याचिका "गलत उद्देश्यों", "प्रचार पाने" के लिए दायर की गई है और याचिकाकर्ता का शायद "राजनीतिक एजेंडा" है. इसके साथ हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार भी लगाई थी.
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