डीएनए हिंदी: जोर शोर से चुनाव में खड़े होकर दिन रात प्रचार करने के बाद भी कुछ उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है. जमानत जब्त के कई किस्से सुने और देखें भी होंगे. यह हर चुनाव में अहम होते हैं. चुनावी नतीजों के बाद पता चलता है कि किसकी हार हुई और किसकी जीत. साथ ही जमानत कई की जमानत जब्त भी होगी. कर्नाटक चुनाव से लेकर यूपी के निकाय चुनाव के नतीजे घोषित होने के अगले ही दिन आपको यह शब्द सुनाई देंगे, लेकिन ज्यादातर लोग जमानत जब्त क्या होता है. इसमें कितने का फाइन लगता है या क्या कार्रवाई होती है. शायद ही यह जानते हो...
दरअसल, किसी भी चुनाव को लड़ने से पहले उम्मीदवार को चुनाव आयोग द्वारा एक तय रकम चुकानी पड़ती है. इसके साथ ही वोटों का एक पैमाना तय किया जाता है. अगर उम्मीदवार जीत जाता है तो उसे यह राशि वापस मिल जाती है, जो कुछ भी जाते हैं. उन्हें भी चुनाव आयोग जमा पैसा वापस कर देता है, लेकिन तय वोटों से कम वोट पाने वाले उम्मीदवार की जमानत राशि जब्त कर ली जाती है.
हर चुनाव के लिए अलग होती है जमानत राशि
चुनाव में उम्मीदवार की जमानत राशि अलग अलग होती है. यह पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक अलग होती है. इसमें उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है.
इस नियम के तहत ली जाती है जमानत राशि
लोकसभा और विधानसभा की जमानत के नियम व राशि का उल्लेख रिप्रेंजेंटेटिव्स आॅफ पीपुल्स एक्ट 1951 में किया गया है. इसमें यह एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को कुछ छूट भी गई है. वहीं राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति चुनाव में जमानत का उल्लेख प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट 1952 में किया गया है. इसमें सभी वर्ग के उम्मीदवारों की जमानत राशि बराबर तय की गई है. किसी विशेष वर्ग को कोई छूट नहीं है.
राष्ट्रपति से लेकर लोकसभा चुनावों में जमानत राशि
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी वर्गों से एक समान जमानत राशि ली जाती है. इसमें इन दोनों ही चुनाव में जमानत राशि के रूप में 15 हजार रुपये जमा कराएं जाते हैं. वहीं लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों से जमानत राशि के रूप में 25 हजार रुपये जमा कराएं जाते हैं. हालांकि एससी एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को सिर्फ 12500 रुपये राशि जमा करनी होती है. वहीं विधानसभा चुनावों में यह राशि 10 हजार से लेकर 5 हजार रुपये होती है. जनरल वर्ग के उम्मीदवारों को 10 हजार और एससी, एसटी वर्ग के उम्मीदवारों से 5 हजार रुपये जमानत राशि के रूप में जमा कराएं जाते हैं.
इतने वोट पाने पर जब्त हो जाती है जमानत राशि
चुनाव आयोग जमानत राशि किसी उम्मीदवार के हार या जीत पर नहीं बल्कि एक वोटिंग प्रतिशत पर जब्त करता है. चुनाव आयोग के अनुसार, उम्मीदवार की सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 16.66 प्रतिशत वोट नहीं हासिल कर पाता है. ऐसी स्थिति में उनकी जमानत जब्त कर ली जाती है. उनके द्वारा चुनाव लड़ने के लिए जमानत के रूप में जमा किया गया पैसा वापस नहीं मिल पाता है.
इन तीन स्थितियों में चुनाव आयोग वापस कर देता है जमानत राशि
चुनाव आयोग किसी भी जीते हुए उम्मीदवार के साथ ही सीट से पड़े कुल वोटों के 16.66 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने पर भी जमानत राशि वापस कर देता है. इसके अलावा उम्मीदवार की मौत होने पर उसकी जमानत राशि परिजनों को लौटा दी जाती है. चाहे फिर उसे 16.66 प्रतिशत या उस से भी कम वोट ही क्यों न मिले हो. वहीं अगर कोई उम्मीदवार नामांकन रद्द कर अपना वापस ले लेता है. ऐसे में उसकी जमानत राशि चुनाव आयोग द्वारा वापस कर दी जाती है.
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कर्नाटक और यूपी के चुनावी नतीजों से पहले जाने लें, जमानत जब्त का मतलब, उम्मीदवार को कैसे करना पड़ता है इसका भुगतान