डीएनए हिंदी: आपने हालिया दिनों में देश के अंदर हवाई किराये में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी होगी. एयरलाइंस लगातार किराया बढ़ा रही हैं, जबकि तेल की कीमतों में भी बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है. इस बढ़ोतरी पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है यानी केंद्र सरकार चाहकर भी एयरलाइंस को किराया बढ़ाने से नहीं रोक सकती है. बढ़ते हवाई किराये पर गुरुवार को केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, किराया तय करना हमारे हाथ में नहीं है. नागरिक उड्ड्यन विभाग डी-रेगुलेटेड सेक्टर है. किराये पर हमारा बस नहीं है.
दरअसल एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम के दौरान सिंधिया से एंकर ने आम आदमी से जुड़ा सवाल किया था. उन्होंने पूछा था, दिल्ली से लेह का किराया 52,000 रुपये है, जबकि दिल्ली से पेरिस का किराया 56,000 रुपये है. क्या आप मानते हैं कि इन दोनों रूट पर किराये की कोई तुलना है, जो हमेशा आसमान छूते रहते हैं और यात्री तथाकथित कम बजट वाली एयरलाइंस में एक मोटा अमाउंट भरते रहते हैं? इस पर सिंधिया ने कहा, देश में इस समय विमान कम हैं और उड़ने वाले ज्यादा. एयरलाइंस नए विमान खरीदना चाहती हैं, लेकिन कंपनियां नए विमान नहीं दे पा रही हैं. डिमांड और सप्लाई का ऐसा असंतुलन पहले नहीं देखा गया है. उड्डयन क्षेत्र के सामने अजब स्थिति है. दो साल पहले यात्री नहीं थे और विमान जमीन पर खड़े थे. आज सभी विमान उड़ रहे हैं, लेकिन यात्रियों की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. फिर भी किराये को लेकर हम एयरलाइंस से बात करेंगे.
और बढ़ने जा रही है हवाई यात्रियों की संख्या
सिंधिया ने कहा, पिछले 9 साल में हवाई ट्रांसपोर्ट में क्रांति आ गई है. देश में शहरीकरण के साथ ही हवाई यात्रियों की संख्या इस कदर बढ़ी है कि मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाना एयरलाइंस के लिए चुनौती बन गया है. यह संख्या और ज्यादा बढ़ने जा रही है. देश की 34 फीसदी आबादी अब शहरों में है, जिसने हवाई यात्रा करने वाला नया वर्ग पैदा किया है. इसी कारण हालिया दिनों में हवाई टिकट की कीमत उछली है.
आय बढ़ी हो तो बढ़ गए हैं हवाई सफर वाले
सिंधिया ने कहा, लोगों की आय भी पिछले कुछ सालों में बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इससे हवाई यात्रा करने वाला नया मध्यम वर्ग मिला है, जिसके अपने सपने हैं. ये लोग हवाई यात्रा करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, साल 1993 में मेरे पिता (माधवराव सिंधिया) ने ओपन स्काई पॉलिसी पेश की थी, जिसमें हमनें सिविल एविएशन सेक्टर को डी-रेगुलराइज्ड कर दिया था. इसलिए किराये की कीमतों पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है. उन्होंने इस दौरान हवाई सेक्टर के डायनामिक्स और किराये पर उसके प्रभाव पर भी बात की.
सीजनल इंडस्ट्री है उड्डयन
सिंधिया ने कहा, एविएशन सेक्टर एक सीजनल इंडस्ट्री है. त्योहारी सीजन (अक्टूबर से जनवरी) के दौरान हवाई सेक्टर में यात्रियों की संख्या अपनी पीक पर होती है. तकरीबन सभी विमान हाउसफुल दिखाई देते हैं. इसके बाद अप्रैल तक इसमें गिरावट आती है. जैसे ही अप्रैल में स्कूलों की छुट्टियां शुरू होती हैं तो अचानक फिर से मांग में बेतहाशा उछाल दिखाई देता है.
गोफर्स्ट केस के कारण भी बढ़ रहे दाम
सिंधिया ने गोफर्स्ट (Go First Airlines) एयरलाइंस के दिवालिया घोषित होने की प्रक्रिया का भी विमान किराये पर असर होने की बात कही. उन्होंने कहा, एयरलाइंस ने कुछ रूट्स पर अपने ऑपरेशंस को बंद कर दिया है, जिससे उन रूट्स पर यात्रियों की भारी भीड़ के लिए कम फ्लाइट्स उपलब्ध हैं और यही कारण है कि कुछ रूट्स पर टिकट के दामों में भारी बढ़ोतरी हुई है.
3-4 साल में सुधरेगी स्थिति, रोजाना उड़ेंगी 1,200 फ्लाइट्स
सिंधिया ने कहा कि हम टियर-2 और टियर-3 शहरों को विमानन सेवा से जोड़ रहे हैं. छोटी जगहों पर हेलीकॉप्टर और छोटे विमानों की सेवा शुरू कराने की तैयारी है. इसके लिए उड़ान 1.0 योजना शुरू होने जा रही है. हमने 9 साल में 74 एयरपोर्ट बनाए हैं. अगले तीन से चार साल में ये भी बढ़कर 200 से ज्यादा हो जाएंगे. सिंधिया ने कहा, साल 2014 से पहले देश में 4-- यात्री विमान सेवा में थे. अब ये करीब 700 हैं और अगले 3-4 साल में रोजाना उड़ान भरने वाले भारतीय विमानों की संख्या 1,200 से 1,400 तक हो जाएगी.
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