डीएनए हिंदीं: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने कॉलेजियम सिस्टम को लेकर एक बार फिर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एक बार जज बनने के बाद न्यायधीशों को आम चुनावों में नहीं जाना पड़ता और न ही उनकी सार्वजनिक जांच होती. इसका मतलब ये नहीं की जनता उन्हें नही देख रही. उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र मजबूती से आगे बढ़े इसके लिए आजाद न्यायपालिका का होना आवश्यक है, वरना लोकतंत्र सफल नहीं होगा.
किरेन रिजिजू ने दिल्ली बार एसोशिएशन के एक कार्यक्रम में ये बातें कही. उन्होंने इस दौरान कॉलेजियम सिस्टम और चीफ जस्टिस को लिखे अपने पत्र का भी जिक्र किया. रिजिजू ने कहा कि यह सबको मालूम है कि जजों को आम जनता नहीं चुनती है. यही वजह है कि जनता जजों की बदल भी नहीं सकती. लेकिन ऐसा नहीं की जनता उनको देख नहीं रही. आज जो सिस्टम में चल रहा है उस पर कोई सवाल नहीं उठाएगा, ऐसा सोचना गलता है. कई बार सिस्टम में बदलाव होना भी जारूरी है.
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उन्होंने कहा कि सरकार और न्यायापालिका के बीच कोई समस्या नहीं है. कॉलेजियम को लेकर आज जो बातें हो रही हैं वो निराधार हैं. हमारी सरकार और पिछले सरकारों ने संविधान के अनुच्छेद में बदलाव किया है. कानूनों में इस बदलाव को नकारात्मक तरीके से नहीं देखना चाहिए.
'SC ने किया संविधान का अपहरण'
इससे पहले रविवार को किरेन रीजीजू ने कहा था कि हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के विचारों का समर्थन करने की कोशिश की, जिन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद न्यायाधीशों की नियुक्ति का फैसला कर संविधान का अपहरण किया है. हालिया समय में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध बढ़ा है. रीजीजू ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एस. सोढ़ी (सेवानिवृत्त) के एक साक्षात्कार का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह एक न्यायाधीश की आवाज है और अधिकांश लोगों के ऐसे ही समझदारीपूर्ण विचार हैं. जस्टिस सोढ़ी ने कहा था कि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है.
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कानून मंत्री ने यह भी कहा, ‘‘वास्तव में अधिकांश लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण विचार हैं. केवल कुछ लोग हैं जो संविधान के प्रावधानों और जनादेश की अवहेलना करते हैं और उन्हें लगता है कि वे भारत के संविधान से ऊपर हैं.’ इंटरव्यू में जस्टिस सोढ़ी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत कानून नहीं बना सकती, क्योंकि उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि कानून बनाने का अधिकार संसद का है. मंत्री ने ट्वीट किया, ‘भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है. लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से खुद पर शासन करते हैं. चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानून बनाते हैं. हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है और हमारा संविधान सर्वोच्च है.’
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'जज बनने के बाद नहीं होती सार्वजनिक जांच', किरेन रिजिजू ने फिर किया कॉलेजियम सिस्टम का जिक्र