Shocking News: झारखंड की राजधानी रांची में ऐन राज्य सरकार की नाक के नीचे मानवता को शर्मसार करने वाला कारनामा सामने आया है. रांची में प्रसव के बाद एक मां को जेनेटिक अस्पताल ने महज बिल वसूलने की खातिर उसके नवजात दुधमुंहे बच्चे से दूर कर दिया. अस्पताल ने बच्चे की डिलीवरी के बाद बिल नहीं चुकाने पर महिला को बंधक बना लिया, जबकि बच्चा उसके बाप के हवाले कर दिया. इसके चलते बच्चे को मां का दूध नहीं मिला. पिता ने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए 21 दिन तक उसे बकरी का दूध पिलाया. मीडिया में मामला सामने आने पर सामाजिक संगठन भड़के तो झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव को तलब कर लिया है. हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को पूरे मामले की खुद जांच करने और रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है.
रिम्स के लिए हुई थी रेफर, ऑटो चालक दलाली के लिए ले आया जेनेटिक अस्पताल
खूंटी के रनिया की सुनीता को 28 मई को प्रसव पीड़ा हुई थी. उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र से Ranchi RIIMS के लिए रेफर किया गया. बस स्टैंड पर ऑटो चालक झांसा देकर अपनी दलाली लेने के लिए सुनीता और उसके पति को जेनेटिक अस्पताल ले गया. सुनीता की खराब हालत देखकर उसके पति ने उसे जेनेटिक अस्पताल में ही भर्ती करा दिया. अस्पताल ने सुनीता की जान को खतरा बताते हुए सीजेरियन डिलीवरी कराने की बात कही. पति के हामी भरने पर डिलीवरी करा दी गई.
अस्पताल ने सौंपा 4 लाख रुपये का बिल
डिलीवरी के बाद अस्पताल ने सुनीता के पति को 4 लाख रुपये का बिल सौंप दिया. पति ने जमीन बेचकर 2 लाख रुपये चुका दिए, लेकिन बाकी पैसा नहीं होने की बात कही. इस पर अस्पताल ने सुनीता को बंधक बना लिया और बच्चा देकर पति को वापस भेज दिया.
मीडिया में आई खबर तो प्रदर्शन पर जागी पुलिस
करीब 3 सप्ताह तक सुनीता को अस्पताल ने अपने यहां बंधक बनाए रखा. किसी तरह इसकी खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. इसके बाद आजसू के कार्यकर्ता भड़क गए और डीसी ऑफिस के बाहर इस मामले पर प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपा. मामला बढ़ता देखकर झारखंड पुलिस भी एक्टिव हो गई और 27 जून को सुनीता को अस्पताल से रिहा कराया. दुखद ये है कि तब तक सुनीता की छाती का दूध सूख चुका था यानी उसका बच्चा अब भी अपनी मां का दूध नहीं पी सकेगा.
हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
घटना की जानकारी सामने आने पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव को तलब कर लिया. जस्टिस आर. मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की बेंच ने स्वास्थ्य सचिव से जांच करने के बाद रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. साथ ही सिविल सर्जन को भी अस्पताल के निबंधन की जांच का आदेश दिया गया है. इस मामले में अब 18 जुलाई को सुनवाई होगी.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
शर्मनाक: हॉस्पिटल ने बंधक बना ली मां, बाप को ऐसे बचानी पड़ी नवजात की जान