डीएनए हिंदी: गुमशुदा बच्चों की याद में 25 मई को दुनिया भर में इंटरनेशनल चिल्ड्रेंस मिसिंग डे (अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस) मनाया जाता है. भारत में हर साल करीब 65000 बच्चे गायब हो जाते हैं. साल दर साल इस तरह के वारदातों में लगातार इजाफा होता जा रहा है. हर चार में तीन गुमशुदा में एक बेटी शामिल है. आईए भारत के गुमशुदा बच्चों के आकड़ों को तलाशते हैं.  

हर साल 65000 बच्चे होते हैं गुमशुदा  

पिछले पांच साल के आंकड़ों को देखें तो बच्चों के गुमशुदा होने के 326290 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. हर साल करीब औसतन करीब 65000 बच्चे गायब हो जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि साल दर साल केस बढ़ते ही जा रहे हैं. जहां साल 2016 में 63,407 मामले रिपोर्ट हुए थे जो कि साल 2019 में बढ़कर 73,138 तक पहुंच गए. साल 2020 में कोविड काल में लॉकडाउन से प्रभावित रहे साल में भी 59,262 बच्चे गायब हो गए.

साल 

गुमशुदा बच्चों की संख्या 

2020 

59262 

2019 

73138 

2018 

67134 

2017 

63349 

2016 

63407 

कुल मामले 

326290 

Source: NCRB  

मध्य प्रदेश, प. बंगाल,बिहार और दिल्ली  बच्चों के लिए सबसे असुरक्षित 

आपके बच्चों के लिए देश के 10 सबसे खतरनाक राज्यों में मध्यप्रदेश पहले नम्बर पर है, जहां कुल 14553 बच्चे गायब हुए हैं. दूसरे नम्बर पर पश्चिम बंगाल (14071) आता है. इसके बाद बिहार (12064) और दिल्ली (10658) उन राज्यों में शामिल हैं जहां पर दस हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं. देश के 50 प्रतिशत से ज्यादा मामले सिर्फ 5 राज्यों से आते हैं. जिसमें मध्य प्रदेश, प बंगाल, बिहार,दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं. देश की राजधानी दिल्ली में कम आबादी के बाद इतनी भारी संख्या में बच्चे गायब होना वाकई कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है.  

राज्य 

बालक  

बालिकाएं 

ट्रांस 

कुल  

मध्य प्रदेश  

2668 

11885 

14553 

पश्चिम बंगाल 

2590 

11481 

14071 

बिहार  

2065 

9999 

12064 

दिल्ली 

3354 

7302 

10658 

महाराष्ट्र  

2792 

4517 

7310 

ओड़िशा  

1097 

5815 

6912 

तमिलनाडू  

1722 

4420 

6142 

उत्तर प्रदेश  

1824 

2773 

4597 

राजस्थान 

937 

3313 

4250 

छत्तीसगढ़ 

778 

3269 

4047 

Source: NCRB 

देश के बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित राज्य और केन्द्र शाषित प्रदेश  

वही देश के कुछ ऐसे राज्य और केन्द्र शाषित प्रदेश भी जहां ऐसी वारदातों की संख्या 100 से भी कम है. मिजोरम और लक्षद्वीप में साल 2020 में न तो बच्चे के खोने का कोई मामला है और नहीं कोई पिछला केस लंबित है. आमतौर पर देश के पूर्वोतर भारत में असम को छोड़कर बाकी राज्यों में बच्चों की गुमशुदगी की घटनाएं बहुत कम हैं.  

राज्य/ केन्द्र शाषित प्रदेश 

केस 

मिजोरम 

लक्षद्वीप 

लद्दाख 

सिक्किम 

16 

अरुणाचल प्रदेश 

18 

दादरा नगर हवेली दमन और दीव 

24 

नागालैंड 

30 

अंडमान निकोबार  

33 

पुडुचेरी 

49 

गोआ 

52 

मेघालय 

76 

मणिपुर 

79 

कहां गुम हो जाती हैं बेटियां ? 

देश भर गायब होने वाले बच्चों में से चार मे से तीन बेटियां हैं. वहीं कई राज्यों में तो ये अनुपात राष्ट्रीय औसत से कही ज्यादा है. मध्य प्रदेश, प. बंगाल, बिहार और उड़ीसा में ये अनुपात बढ़कर 1:4 का हो जाता है, यानि खोए हर 5 बच्चों में चार बच्चियां हैं.  

राज्य 

गुमशुदा बालक  

 गुमशुदा बालिकाएं 

मध्य प्रदेश 

2668 

11885 

प. बंगाल 

2590 

11481 

बिहार 

2065 

9999 

उड़ीसा 

1097 

5815 

भारत 

28976 

79233 

Source : NCRB

पढ़ें- मध्य प्रदेश में लापता होते हैं सबसे ज्यादा बच्चे, याद रखें इससे जुड़ी ये 5 बातें

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International Missing Children Day Which Indian state is more dangerous
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हर चार गुमशुदा में से तीन बेटियां, जानिए कौन से राज्य है बच्चों के लिए खतरनाक 
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हर चार गुमशुदा में से तीन बेटियां
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हर चार गुमशुदा में से तीन बेटियां

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हर चार गुमशुदा में से तीन बेटियां, जानिए कौन से राज्य है बच्चों के लिए खतरनाक