डीएनए हिंदी: केंद्र शासित प्रदेस लद्दाख में सेना ने बारूदी सुरंगों को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया है. लेह जिले के तीन इलाकों में सेना ने करीब 175 बारूदी सुरंगों को तबाह किया है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास रहने वाले स्थानीय लोगों ने कहा था कि इन सुरंगों की वजह से उन पर हमेशा खतरा मंडराता है. उन्होंने सेना से गुहार लगाई थी कि इन बारूदी सुरंगों को नष्ट कर दिया जाए.
साल 1962 में ये बारूदी सुरंगे लेह में बिछाई गई थीं. इनका मकसद दुश्मनों को देश में आने से रोकना था. तब से लेकर अब तक इन सुरंगों की वजह से स्थानीय लोग खौफ में थे. उन्हें डर लगता था कि कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए. इन लैंड माइन्स को LAC के पास ही बिछाया गया था, जिससे भारत की जमीन में किसी भी तरह से आक्रमणकारी न दाखिल होने पाएं. ये बारूदी सुरंगे दशकों पुरानी है.
क्यों बिछाई गई थीं बारूदी सुरंगे?
साल 1962 में ही चीन और भारत के बीच जंग हुआ था. बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल भारत ने अपनी सुरक्षा के लिए किया था. सीमित संसाधनों के बीच लड़ी गई इस लड़ाई में भारत का पड़ला कमजोर था. दुश्मन और उनकी टैंक सीमा में दाखिल न होने पाए, इस वजह से इन्हें बिछाया गया था. जंग के दशकों बाद ये सामान्य जनता के लिए खतरा बनी हुई थीं. ग्रामीण इन्हें हटाने की मांग कर रहे थे. इस वजह से इन्हें हटा दिया गया.
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On behalf of Phobrang, Yourgo, and Lukung villagers, we thank the Fire and Fury Corps @firefurycorps @adgpi for their swift action in fencing and clearing the area by successfully destroying over 175 mines.@lg_ladakh @LAHDC_LEH pic.twitter.com/UtFyV2YpB1
— Santosh Sukhadeve (@santoshsukhdeve) October 12, 2023
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सुरंगों के खात्मे पर क्या बोले लेह के अधिकारी?
लेह के उपायुक्त संतोष सुखदेव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'फोब्रांग, योरगो और लुकुंग के स्थानीय लोगों की ओर से हम 175 से अधिक बारूदी सुरंगों को सफलतापूर्वक नष्ट करने की त्वरित कार्रवाई के लिए हम फायर एंड फ्यूरी कोर को धन्यवाद देते हैं. फोब्रांग के सरपंच ने कहा है कि मैं 1962 में लगाई गई इन बारूदी सुरंगों को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद देना चाहता हूं. इससे हमें नुकसान होता था. (इनपुट: भाषा)
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लेह: 1962 में बनी 175 बारूदी सुरंगों को सेना ने हटाया, जानिए क्यों