डीएनए हिंदी: चीन (China) से तनाव के बीच भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहा है. ओडिशा (Odisha) के बालासोर (Balasore) तट से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (Brahmos supersonic missile) के नए वर्जन का परीक्षण बेहद सफल रहा.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के मुताबिक यह मिसाइल आधुनिक तकनीक से लैस है. मिसाइल का परीक्षण सफल रहा है. मिसाइल का परीक्षण सुबह करीब 10 बजकर 45 मिनट पर किया गया है. आईटीआर चांदीपुर ( ITR, Chandipur) से लॉन्च हुई यह मिसाइल दुश्मनों के लिए बेहद खतरनाक है.
मिसाइल का निर्माण आत्मनिर्भर भारत के तहत हुआ है. यह रूस और भारत के बीच डिफेंस सेक्टर का संयुक्त उपक्रम है. हाल ही में 11 जनवरी को, DRDO ने भारतीय नौसेना के एक स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक (missile destroyer) से ब्रह्मोस के एक नौसैनिक संस्करण (naval variant) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था.
Ballistic Missile Agni-5: अग्नि 5000 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है, जानें कितनी है खतरनाक?
क्या है Brahmos सुपरसोनिक missile की खासियत?
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की रेंज मारक क्षमता बढ़ाकर 400 किलोमीटर की गई है. मिसाइल के अपग्रेड वर्जन का भी परीक्षण लगातार सटीक है जो इसे सफल मिसाइल बना रहा है. इस प्रोजेक्ट में मिसाइल को स्वदेशी बूस्टर के साथ लॉन्च किया जा रहा है. यही वजह है कि इस मिसाइल से पड़ोसी देश सतर्क रहते हैं.
The BrahMos supersonic cruise missile with increased indigenous content and improved performance was successfully test fired today from Chandipur.
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) January 20, 2022
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh congratulated the @BrahMosMissile , @DRDO_India teams and industry for the successful flight test. pic.twitter.com/uf8BeXnm4N
यह मिसाइल हवा से हवा और हवा से सतह तक मार करने में अचूक है. ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है. जल, थल और वायु सीमा में यही वजह है कि इसका इस्तेमाल किया जाएगा. रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने मिलकर इसका विकास किया है. यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की टेक्नोलॉजी पर आधारित है.
क्यों पड़ा है ब्रह्मोस नाम?
ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है. रूस इस परियोजना में लॉन्चिंग टेक्नोलॉजी शेयर कर रहा है. वहीं फ्लाइट गाइडेंस और नेविगेशन को भारत खुद विकसित कर रहा है.
यह भी पढ़ें:
S-500 missiles का पहला खरीदार हो सकता है भारत, जानें इसकी खासियत
फिलीपींस को Brahmos क्रूज मिसाइल बेचेगा भारत, जानिए दुनिया के कितने देशों को हम बेचते हैं हथियार
- Log in to post comments
BrahMos missile के नए वर्जन का सफल परीक्षण, क्या है खासियत?