डीएनए हिंदी: भारत के खिलाफ यूरोपियन यूनियन का दोहरा चरित्र एक बार फिर सामने आया है. रूस (Russia) के साथ तेल (Oil) और गैस (Gas) खरीदने को लेकर यूरोपीय ताकतें (European Union) भारत के खिलाफ अभियान चला रही हैं.
यूरोपीय देश यह चाहते हैं कि भारत किसी भी कीमत पर रूस के साथ गैस और तेल का सौदा न करे. यूरोपियन यूनियन इसे लागू करने के लिए तमाम आर्थिक प्रतिबंधों को लागू करने की फिराक में है लेकिन खुद इन नियमों का पालन नहीं कर रहा है.

भारत और रूस के बीच रुपया और रूबल पेमेंट सिस्टम डील को बाधित करने की चर्चाएं चल रही हैं लेकिन खुद यूरोपियन यूनियन रूस से रूबल में ही गैस खरीद रहा है. यूरोप के इस संगठन ने यूक्रेन पर हमला करने की वजह से रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों को लागू किया है. रूस इन दिनों सबसे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है.

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रुपया-रूबल डील पर यूरोपियन यूनियन को है ऐतराज

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यह ऐलान कर चुके हैं कि रूस रूबल में ही गैस का व्यापार जारी रखेगा. यूरोपीय देश रूस के इस फैसले पर चिंतित हैं. ये देश खुद रूबल में गैस खरीद रहे हैं लेकिन इन्हें भारत के रुपये और रूबल की डील पर ऐतराज भी है.

खुद रूस की शर्तों पर तेल खरीद रहे हैं यूरोपीय देश

रूस ने 31 मार्च को अमित्र देशों (unfriendly countries) के लिए नियम तय किए थे कि तेल कंपनियों को गैस संबंधित भुगतान के लिए रूबल करेंसी के जरिए ही करना होगा. यूरोपीय देश भी रूस के अमित्र देशों में शुमार हैं. अलग-अलग रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि यूरोपीय संघ के कई देश रूस की शर्तों पर तेल और गैस का सौदा कर रहे हैं.

कैसे रूबल में गैस खरीद रही हैं यूरोपीय कंपनियां?

यह यूरो-रूबल डील के तहत हो रहा है. पेमेंट पहले यूरो में होता है जिसे रूसी बैंक रूबल में बदल देते हैं. यह अलग-अलग दो बैंक खातों के जरिए होता है. रूसी कंपनियां अलग-अलग दो बैंक अकाउंट खोल रही हैं. रूस की अर्थव्यवस्था को खुद मजबूत कर रही इन कंपनियों ने अपने हितों के लिए अलग व्यवस्था की है.

यूरोपीय कंपनियां रूस के बैंक में अलग-अलग दो खाते खोल रही हैं. रूबल और यूरो के लिए अलग-अलग खातों के जरिए ट्रांजैक्शन किया जा रहा है. यूरोपियन यूनियन ने अपने ट्रांजैक्शन के लिए गज़प्रॉम बैंक पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. गज़प्रॉम बैंक के जरिए ही पेट्रोलियम डीलिंग होती है.

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यूरोपीय तेल कंपनियां इस बैंक में यूरो में पैसे जमा करती हैं और उसे रूबल में कन्वर्ट करा लेती हैं. फिर यही कंपनियां रूबल में भुगतान करके रूस से तेल खरीदती हैं. यही वजह है कि तमाम आर्थिक प्रतिबंधों के बाद भी रूस की अर्थव्यवस्था सरपट दौड़ रही है. यूरोपीय यूनियन भारत पर दबाव बनाना चाह रही हैं.

कौन-कौन से देश कर रहे हैं रूस के साथ कारोबार?

ऑस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, इटली, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया जैसे देशों में स्थित तेल कंपनियां यूरो-रूबल डील के तहत कारोबार कर रही हैं. हर दिन इन बैंकों का कारोबार बढ़ता जा रहा है. रूस ने बुल्गेरिया, पोलैंड और फिनलैंड में गैस सप्लाई रोक दी है. इन्हीं देशों ने रूबल में भुगतान करने के इनकार कर दिया था. रूस ने अब कहा है कि ऐसी कंपनियों की लिस्ट जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी जो हमारी शर्तों पर तेल खरीद रही हैं.

कैसी साजिश रच रहा है यूरोपियन यूनियन

यूरोपियन यूनियन इन कंपनियों के खिलाफ एक्शन लेने की जगह भारत को ही बदनाम करने की कोशिशों में जुटा है. ज्यादातर पश्चिमी मीडिया ऑयल डील को लेकर भारत और रूस के बीच रुपया-रूबल डील व्यवस्था को लेकर भ्रामक खबरें प्रकाशित कर रहे हैं. 

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोपियन यूनियन उस प्रतिबंध को सदस्य देशों में लागू ही नहीं कर रहा है कि जिसकी घोषणा अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन (Ursula von der Leyen) ने मई में की थी. प्रतिबंधों के छठे दौर के तहत उर्सुला ने कहा था कि रूस से यूरोपीय देश तेल न खरीदें. इस डील पर सदस्य देशों के बीच अभी तक समझौता नही हो सका है.

यूरोपियन यूनियन रूसी तेल और गैस का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है. रूसी पेट्रोलियम उत्पादों का 3/4 हिस्सा यूरोपीय देश ही खरीद रहे हैं. ज्यादातर यूरोपीय देश गैस आयात को लेकर रूस पर निर्भर हैं. 

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पश्चिमी देशों का दोहरा चरित्र! खुद रूस से खरीद रहे सस्ता तेल
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Hindi
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. (फाइल फोटो- Twitter/PIB)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. (फाइल फोटो- Twitter/PIB)

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पश्चिमी देशों का दोहरा चरित्र, खुद रूस से खरीद रहे सस्ता तेल, भारत को कर रहे टारगेट