डीएनए हिंदी: कोविड-19 से हुई मौतों की संख्या अधिक बताए जाने के मुद्दे पर भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय काफी गंभीर है. कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय, मौत के आंकड़ों के मुद्दे को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सामने उठा सकता है. स्विटजरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) के प्लैटफॉर्म पर भारत की ओर से अनौपचारिक बातचीत की जा सकती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया इन दिनों अपने कुछ कैबिनेट सहयोगियों के साथ वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जिनेवा में मौजूद हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया WHO के उस दावे पर चर्चा कर सकते हैं जिसमें कहा गया था कि भारत में 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2021 के बीच कोरोना महामारी की वजह से 47 लाख अतिरिक्त लोगों की जान गई. आपको बता दें कि भारत सरकार के मुताबिक, इस समयावधि के दौरान कोरोना से मरना वालों की संख्या 5,20,000 थी.
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आंकड़ों से सहमत नहीं है भारत सरकार
एक सरकारी अधिकारी ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया, 'हो सकता है कि स्वास्थ्य मंत्री वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के मंच पर WHO के प्रतिनिधियों के सामने इस मुद्दे को उठाएं. यह मामला उसी समय से विवादों में रहा है जब WHO ने आंकड़े जारी किए थे, सरकार ने उसी समय साफ कर दिया था कि वह इन आंकड़ों से सहमत नहीं है. भारत के लिए यह अच्छा मौका है कि इस मंच पर इस मुद्दे पर चर्चा की जाए.'
आपको बता दें कि 5 मई 2022 को WHO ने कहा था कि भारत में Covid-19 की वजह से हुई मौतों की असली संख्या, सरकार की ओर से बताई गई संख्या के 10 गुने के बराबर है. भारत सरकार ने उसी वक्त WHO के इस अनुमान पर आपत्ति जताई और कहा कि कोविड-19 से हुई मौतों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की गई WHO की प्रकिया और तरीका सही नहीं है और उसमें खामियां हो सकती हैं.
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'मौतों की गिनती का तरीका सही नहीं'
सरकार ने अपने बयान में कहा, 'भारत हमेशा से WHO के उस तरीके पर सवाल उठाता रहा है, जिसकी मदद से मौतों का आकलन किया गया है. भारत की आपत्ति के बावजूद WHO ने भारत में ज्यादा मौतों के आंकड़े जारी किए हैं और भारत की चिंताओं का ध्यान नहीं रखा है.'
WHO की ओर से आंकड़े जारी किए जाने के बाद नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा था, 'भारत इन आंकड़ों को खारिज करता है. हम WHO से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और दुनिया के सामने भी अपना पक्ष रखेंगे और बताएंगे कि हम इन आंकड़ों को सही क्यों नहीं मानते.'
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मौत के आंकड़ों के अलावा भारत सरकार की ओर से स्वदेशी Covaxin को सस्पेंड किए जाने का मुद्दा भी उठाया जा सकता है. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संगठन ने इस वैक्सीन के निर्माण की प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी पाई थी, जिसके बाद इसका इस्तेमाल रोक दिया था.
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Covid-19 से हुई मौतों के दावे पर WHO से हिसाब मांगेगा भारत!