डीएनए हिंदी: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत अपने हितों को लेकर स्पष्ट है और ध्रुवीकरण वाले वैश्विक हालात में गुटनिरपेक्षता की अपनी नीति पर अटल है. आईआआईटी गुवाहाटी के छात्रों से बातचीत के दौरान उन्होंने कूटनीति पर जोर देते हुए कहा कि अगर कूटनीति कामयाब होती है तो सेना की आवश्यकता नहीं है. चीन और भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध पर भी उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति पर चर्चा की है.
China की चुनौती से निपटने पर दिया जवाब
विदेश मंत्री ने कहा कि 'ऐक्ट ईस्ट' और 'पड़ोस प्रथम' नीतियों के एक साथ आने से भारत के लिए दक्षिण एशिया की सीमाओं से परे भी व्यापक प्रभाव होगा. चीन की चुनौती से निपटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे विश्वास के साथ निपटा जा सकता है.
भारत की ‘पहले पड़ोसी’ की नीति के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत किसी भी तरह की चुनौती से निपटने में सक्षम है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन से चुनौतियों पर उन्होंने कहा कि ज्यादातर परिदृश्यों में अगर कोई ऐसी चीजें कर रहा है जो उनके लिए अच्छी है तो इससे ज्यादातर समस्याओं का समाधान हो जाता है.
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म्यामांर शरणार्थी संकट पर भी की बात
म्यामांर में जारी संघर्ष के बीच शरणार्थियों की बड़ी संख्या भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में शरण के लिए पहुंच रही है. खास तौर पर मिजोरम में म्यामांर के शरणार्थी भविष्य में बड़ी चुनौती बन सकते हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत यह देखने की कोशिश कर रहा है कि क्या वह इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकता है.
उन्होंने पूर्वोत्तर की सीमाओं की सुरक्षा को देश की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि मोदी सरकार का विजन स्पष्ट है. हम देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं.
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China की चालाकियों से निपटने के लिए क्या है भारत का प्लान, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया जवाब