डीएनए हिंदीः CDS Bipin Rawat का Helicopter कैसे हादसे का शिकार हो गया इसे लेकर आज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) को एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली त्रि-सेवा जांच दल विस्तृत रिपोर्ट देगी. जांच समिति में नौसेना (Indian Air Force) का एक शीर्ष पायलट (Pilot) शामिल है, जिसने एमआई-17 (M-17) की दुर्घटना जांच में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसके साथ ही पूरे मामले से पर्दा उठेगा कि आखिर ये हादसा कैसे हुआ.
समिति का क्या है मानना
सूत्रों का कहना है कि दुर्घटना का पता लगाने वाली समिति का मानना है कि पायलट सुलूर हवाईअड्डे से वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज की ओर उड़ान भरते समय एक रेलवे लाइन के पीछे जा रहे थे. अचानक एक घना बादल छा गया और चालक दल को एहसास हुआ कि उन्हें इससे बाहर निकलना होगा क्योंकि वे पहले से ही नीचे उड़ रहे थे. इससे बाहर निकलने की कोशिश में वे रास्ते में एक चट्टान से टकरा गए.
मास्टर ग्रीन था चालक दल
सीडीएस बिपिन रावत का चालक दल मास्टर ग्रीन थी. सूत्रों ने कहा कि तीन बलों के परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े में सर्वश्रेष्ठ पायलटों को 'मास्टर ग्रीन' श्रेणी दी जाती है. इन पायलटों को कम दृश्यता में विमान उड़ाने और उतारने में महारत हासिल होती है. इसलिए ऐसा लगता है कि उन्हें विश्वास था कि वे स्थिति से बच निकलेंगे क्योंकि उन्होंने ग्राउंड स्टेशनों को आपातस्थिति के बारे में कोई सूचना नहीं दी थी. पायलट स्थिति से बाहर निकलने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त लग रहे थे क्योंकि पास के तीन केंद्रों पर कोई संकट नहीं था. सूत्रों के अनुसार चूंकि पूरा दल 'मास्टर ग्रीन' श्रेणी का था, ऐसा लगता है कि उन्हें भरोसा था कि वे स्थिति से बाहर निकलने में सक्षम होंगे, क्योंकि आपात स्थिति का सुझाव देने के लिए ग्राउंड स्टेशनों पर कोई कॉल नहीं किया गया.
8 दिसंबर को हुआ था हादसा
सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, रक्षा सहायक, सुरक्षा कमांडो और एक आईएएफ पायलट 8 दिसंबर को तमिलनाडु में कोयंबटूर और सुलूर के बीच दुर्घटनाग्रस्त होने पर एमआई-सीरीज हेलीकॉप्टर में सवार थे. इस हादसे में जनरल रावत की पत्नी और 12 अन्य सैन्यकर्मियों की भी मृत्यु हो गई थी.
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