डीएनए हिंदी: इन दिनों स्कूल या कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर जो विवाद छिड़ा है, वह रुकता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में हर तरफ से अलग-अलग तरह के बयान और खबरें सामने आ रही हैं. इस बीच यह बात भी गौर करने वाली है कि केंद्रीय विद्यालयों में मुस्लिम लड़कियों के लिए सन् 2012 में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया था.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 4 जुलाई 2012 को देश भर के केंद्रीय विद्यालयों द्वारा 'नया वर्दी पैटर्न' अपनाने की घोषणा की थी. सन् 1963 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक स्वायत्त निकाय बनाया था. इसे आज शिक्षा मंत्रालय के रूप में जाना जाता है. इस मंत्रालय ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के लिए ड्रेस कोड में बदलाव किया था. इस बदलाव के तहत स्कार्फ और पगड़ी के नए पैटर्न लागू किए गए थे. 

छात्रों की विशिष्ट पहचान वाला ड्रेस कोड
18 मई 2012 को अपनी 92वीं बैठक में केवीएस बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा किए गए बदलावों में मुस्लिम लड़कियों के लिए 'लोअर से मेल खाने वाला लाल दुपट्टा' शामिल था. प्रेस सूचना ब्यूरो के माध्यम से जारी एक बयान में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस नए डिजाइन के बारे में बताया था. कहा गया था कि यह डिजाइन यूनिफॉर्म को समकालीन रूप देने की एक कोशिश है. साथ ही छात्रों की विशिष्ट पहचान और कम्फर्ट को ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया गया है. 

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NIFT ने तैयार किए थे ड्रेस डिजाइन
लड़के और लड़की दोनों के लिए चेक यूनिफॉर्म थी और कक्षा 9-11 की छात्राओं के लिए सलवार की बजाय ट्राउजर्स को ड्रेस के रूप में लागू किया गया था. ये सभी ड्रेस डिजाइन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT)और यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की मदद से तैयार हुए थे. 

देश भर के 1,248 केंद्रीय विद्यालयों में 14.35 लाख छात्र पढ़ते हैं. इनमें 6.55 लाख लड़कियां और 7.79 लाख लड़के शामिल हैं. जाति और धर्म आधारित ताजा आंकड़े तो नहीं बताए गए हैं, लेकिन साल 2015 के आंकड़ों की बात करें तो केंद्रीय विद्लायों में पढ़ने वाले 12.09 लाख छात्रों में से 56, 719 मुस्लिम थे. इनमें 23, 621 छात्राएं शामिल थीं. 

8 अगस्त, 2012 को नए ड्रेस कोड पर लोकसभा के एक सवाल के जवाब में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा था कि 'केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों के लिए यूनिफॉर्म कोड तैयार करने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है. यह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) द्वारा स्वयं किया जाता है जो एक स्वायत्त निकाय है.

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मुस्लिम छात्राओं के लिए 10 साल पहले लागू हुआ था अलग ड्रेस कोड
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Hijab Row: मुस्लिम छात्राओं के लिए 10 साल पहले बना था अलग ड्रेस कोड, NIFT ने डिजाइन की थी ड्रेस