डीएनए हिंदी: राजधानी दिल्ली में बीते दिन की जबरदस्त आंधी-बारिश ने गर्मी से तो राहत दी मगर आधे घंटे के तेज तूफान ने दिल्ली की तस्वीर बदलकर रख दी. तूफान कुछ इस कदर था कि रिहायशी इलाकों के साथ-साथ प्रकृति को भी एक बड़ा नुकसान झेलना पड़ा.
शाम साढ़े 4 बजे शुरू हुए तूफान ने बीते चार सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली ने 100 किमी प्रति घंटे के रफ्तार वाले तूफान का सामना किया. इस तूफान ने कहीं किसी की संपत्ति का नुकसान किया तो कहीं शहर की खूबसूरती बढ़ाने वाले हरे-भरे पेड़ों को उखाड़ कर रख दिया.
आपको जानकर हैरानी होगी कि महज आधे घंटे के तूफान में राजधानी दिल्ली में 225 पेड़ों का नुकसान हुआ. जहां एक तरफ नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के तहत आने वाले इलाकों में पेड़ और शाखाएं टूटने की 150 शिकायतें आईं, वहीं दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में 72 पेड़ों का नुकसान हुआ. इनमें कई पेड़ जड़ से उखड़ गए और कइयों की बड़ी-बड़ी शाखाएं सड़कों पर आ गई.
राजधानी में हुए पेड़ों के नुकसान को आप ग्राफिक्स के जरिए समझिए
इसके अलावा तूफान के बाद कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आई जो प्रकृति पर मानवीय अतिक्रमण पर सोचने को मजबूर करती हैं. दरअसल, दिल्ली के जबरदस्त तूफान में जड़ से उखड़ने वाले कई ऐसे पेड़ शामिल थे जिनकी जड़ों पर कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया था. कच्चे यानी मिट्टी के इलाकों में भी कंक्रीट लगाकर पक्का किया जा रहा है जिसकी वजह से पेड़ों की जड़ों को ना तो पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पा रही है और ना ही पानी. इसके चलते पेड़ की जड़ें खोखली हो जाती हैं.
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इतना ही नहीं, कंकरीटाइजेशन के चलते बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है जिससे जमीन के पानी की मात्रा में गिरावट आ रही है. कंक्रीट बढ़ने की वजह से शहरों में हर साल अर्बन फ्लड को समस्या तक खड़ी हो जाती है. ऐसे में अब तमाम जिम्मेवार अथॉरिटीज और रिहायशियों को जागरूक होने की जरूरत है.
वहीं, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बढ़ते कंकरीटाइजेशन को लेकर एनजीटी वकील और एनवायरनमेंट एक्सपर्ट विक्रांत तोंगड़ ने एनजीटी में एक याचिका दायर की. इसपर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फुटपाथ पर कंक्रीट के इस्तेमाल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है.
एनजीटी ने सख्त लहजे में नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया कि सरकार के 2018 में आए आदेश के मुताबिक, जिन फुटपाथों पर कंक्रीट का निर्माण हुआ है, उस हटाकर उसके मूल रूप में लाया जाए. साथ ही उन फुटपाथों पर पेड़-पौधे लगाए जाएं.
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केंद्र सरकार के 2013 के आदेशों का जिक्र करते हुए एनजीटी ने कहा, पेड़ों के किनारे 1 मीटर की जगह खाली छोड़ी जाए. एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार के 2018 के आदेश का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं. साथ ही कहा है कि संबंधित केंद्रीय मंत्रालय सेक्शन 3 और सेक्शन 5 पर्यावरण सुरक्षा एक्ट 1986 के तहत ऐसे निर्देश लाए कि फुटपाथ या खुली जगहों पर किसी भी तरह का कोंक्रीट का कार्य ना हो और ये सब एक समय सीमा के अंदर किया जाए.
(रिपोर्ट- दीक्षा पांडेय)
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Delhi: आधे घंटे की आंधी में कहां हुआ कितना नुकसान, आखिर क्यों धराशाई हुए पेड़?