डीएनए हिंदी: Gyanvapi Masjid News- ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दे दिया है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) की नियमित पूजा को लेकर चल रहे केस की सुनवाई पर रोक लगाने से हाई कोर्ट ने इंकार कर दिया है. मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की इस मांग वाली याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इससे पहले यह याचिका वाराणसी की जिला अदालत में भी खारिज कर दी गई थी. हाई कोर्ट के रोक लगाने से इंकार के बाद अब वाराणसी की अदालत में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा से जुड़े केस पर अब लगातार सुनवाई होने का रास्ता साफ हो गया है. हाई कोर्ट में जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि रिवीजन पिटिशन मेंटनेबल नहीं है.
Allahabad High Court dismisses the Muslim side's plea challenging maintainability of five Hindu women worshippers' suit filed in Varanasi Court seeking the right to worship inside Gyanvapi mosque in Varanasi pic.twitter.com/TJUAXBElY5
— ANI (@ANI) May 31, 2023
वाराणसी अदालत ने खारिज कर दी थी आपत्ति
ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने पिछले साल वाराणसी की जिला अदालत में भी आपत्ति याचिका दाखिल की थी. यह याचिका राखी सिंह और 9 अन्य महिलाओं की तरफ से दाखिल केस के खिलाफ थी. हिंदू महिला उपासकों ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग करते हुए सिविल केस दाखिल किया था. वाराणसी जिला जज ने पिछले साल 12 सितंबर को मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद इंतजामिया कमेटी ने जिला जज के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद 23 दिसंबर, 2022 को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था. यह फैसला बुधवार को सुनाया गया है, जिसमें इंतजामिया कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया गया है.
महिलाएं मांग रहीं नियमित नमाज की तरह पूजा का अधिकार
श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का केस दाखिल करने वाली महिलाओं ने इसे नियमित नमाज के बराबर मानने की गुहार अदालत से लगा रखी है. उनका कहना है कि जैसे ज्ञानवापी में मुस्लिम पक्ष को नियमित नमाज पढ़ने दी जाती है. वैसी ही हमें भी दर्शन पूजन का अधिकार मिलना चाहिए. मस्जिद मंदिर की जगह बनी है, इसके कई साक्ष्य मिल चुके हैं.
मुस्लिम पक्ष दे रहा प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला
मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग वाले सिविल केस को पोषणीय नहीं मानता है. मुस्लिम पक्ष के मुताबिक, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 और सेंट्रल वक्फ एक्ट-1995 के तहत यह वाद पोषणीय नहीं है. मुस्लिम पक्ष ने जिला जज के फैसले के खिलाफ यही दलील देकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
हाई कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक: हिंदू पक्ष
इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की सुनवाई का रास्ता साफ होने के बाद हिंदू पक्ष उत्साहित है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है. उन्होंने कहा, मुस्लिम पक्ष हमेशा इस केस को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत बाधित होने का दावा करता है. इस लिहाज से यह ऐतिहासिक फैसला है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस जेजे मुनीर ने वही बात कही है, जो वाराणसी जिला अदालत ने 12 सितंबर को हमारे पक्ष में फैसला देते समय कही थी. यह फैसला देश के समस्त हिन्दुओं के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है.
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Gyanvapi Masjid Case: हाई कोर्ट ने खारिज की मुस्लिम पक्ष की आपत्ति, ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी पूजा पर होगी सुनवाई