डीएनए हिंदीः वाराणसी की जिला अदालत आज ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में अपना फैसला सुनाएगी. जिला जज एके विश्वेश की अदालत ने सोमवार को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट आज इस पर अपना फैसला सुनाएगा कि इस मामले में पहले किसका पक्ष सुना जाए. इस मामले में अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 का हवाला देते हुए कहा कि इसे सुनने का मतलब एक्ट का उल्लंघन है. लोअर कोर्ट में सिविल जज ने इस आवेदन को नकारते हुए कमीशन की कार्यवाही को वैधानिक नहीं बताया. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वो सबसे पहले मस्जिद कमेटी की सिविल प्रोसीजर कोड के ऑर्डर 7 रूल नंबर 11 (Order VII Rule 11) के तहत दायर याचिका पर सुनवाई करेंगे.
क्या है ऑर्डर 7 रूल नंबर 11?
कोर्ट को इस मामले में केस की मेरिट पर फैसला करना है. कोर्ट यह तय करेगा कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सुनवाई के लायक है कि या नहीं. वादी पक्ष द्वारा जो मांग की जा रही है क्या वह कोर्ट के दायरे में आती है, इस पर कोर्ट को फैसला करना है. यह मामला कोर्ट के दायरे में नहीं आता है तो कोर्ट इस मामले को सुनने से ही इनकार कर सकता है.
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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता: हिंदू पक्ष के वकील
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 लागू नहीं होता है. उन्होंने कहा कि 1937 में दीन मोहम्मद के केस में 15 लोगों ने इस बात की गवाही दी थी कि वहां पूजा होती थी जो 1942 तक हुई. इसलिए वह एक्ट ज्ञानवापी प्रकरण में प्रभावी नहीं होगा. यही तथ्य हमने अदालत के सामने रखा है.
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ज्ञानवापी मस्जिद मसले पर क्या हैं मांगें
हिंदू पक्ष
1. श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की मांग
2. वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की मांग
3. नंदी के उत्तर में मौजूद दीवार को तोड़कर मलबा हटाने की मांग
4. शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई जानने के लिए सर्वे की मांग
5. वजूखाने का वैकल्पिक इंतजाम करने की मांग
मुस्लिम पक्ष
1. वजूखाने को सील करने का विरोध
2. 1991 एक्ट के तहत ज्ञानवापी सर्वे और केस पर सवाल
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Gyanvapi Case: पहले किसका पक्ष सुना जाए? ऑर्डर 7 रूल 11 से तय होगा पूरा केस