डीएनए हिंदी: भारत समेत दुनिया भर में पिछले दो तीन सालों से कोरोना (Corona) का प्रकोप जारी है. वहीं इस महामारी के सामने आने के बाद दुनिया भर की सरकारें स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को प्राथमिकता में लेने लगी हैं. दूसरी ओर सब जानते हैं कि देश में डेंगू का कितना प्रकोप रहता है. हर साल हजारों लोग इस बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गवा देते हैं. ऐसे में अब भारत सरकार ने डेंगू की बीमारी से निपटने के लिए भी कमर कस ली है.
इसके लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग के टीएचएसटीआई (Transitional Health Science and Technology Institute) ने डीएनडीआई (Drugs for Neglected Diseases initiative-(DNDi) India Foundation के साथ समझौता किया है. इस समझौते के तहत अगले पांच साल के अंदर डेंगू की प्रभावशाली दवा को विकसित किया जाएगा.
वहीं मामले को लेकर एक अधिकारी ने बताया, इस योजना के तहत सरकारी और गैर सरकारी संस्था मिलकर रिसर्च करेंगे जिसके बाद डेंगू के लिए प्रभावकारी, सुरक्षित और सस्ती दवा विकसित की जाएगी.
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आंकड़ों के मुताबिक, करीब सौ देशों में 39 करोड़ डेंगू संक्रमण के मामले हर साल आते हैं. इनमें से 70 प्रतिशत मामले एशिया में देखने को मिलते हैं. 2021 में भारत में 164,103 डेंगू के मामले आए थे जबकि 2019 में 205,243 नए मामले देखे गए.
टीएचएसटीआई (THSTI) के कार्यकारी निदेशक प्रमोद कुमार गर्ग का कहना है, डेंगू के लिए अब तक कोई एंटीवायरल दवाई नहीं है. इसमें वैक्सीन का इस्तेमाल भी सीमित है. हालांकि डेंगू के इलाज के लिए रिसर्च हो रही है लेकिन हम अब तक इस दिशा में कोई कारगर परिणाम हासिल नहीं कर सके हैं. उन्होंने कहा, डीएनडीआई इंडिया फाउंडेशन के साथ साझेदारी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. इससे हम प्रभावकारी दवा विकसित करने में कामयाब होंगे.
ऐसे की जाएगी रिसर्च
इस साझेदारी के तहत डेंगू के उपचार के लिए प्री क्लिनिकल अध्ययन किया जाएगा. इसमें पहले से तैयार दवाइयों का उपयोग कर यह परखा जाएगा कि इनका प्रभाव डेंगू पर कितना होता है. इसके साथ ही किफायती और सुलभ उपचार के नए तरीकों को भी खोजा जाएगा. क्लिनिकल ट्रायल में दो दवाइयों के कंबिनेशन को भी परखा जाएगा. बीमारी के विभिन्न चरणों में इन दवाइयों का परीक्षण किया जाएगा.
डेंगू के लक्षण
बता दें कि डेंगू विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य के 10 सबसे बड़े जोखिमों से एक है. भारत में मॉनसून के समय यह बीमारी तेजी से फैल जाती है. इससे पीड़ित मरीज को बुखार, बेचैनी, उल्टी और शरीर में बेतहाशा दर्द जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा बीमारी के गंभीर होने पर मरीज में आंतरिक ब्लीडिंग शुरू हो जाती है साथ ही इस दौरान कई अंग काम करने बंद कर देते हैं और अंत में मरीज की मौत भी हो जाती है.
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