डीएनए हिंदी: राज्यसभा सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा इन दिनों अपने गृहनगर के दौरे पर हैं. देश में सबसे पहले 24 घंटे का न्यूज चैनल चलाकर इतिहास रचने वाले डॉ. सुभाष चंद्रा का कहना है कि 24 घंटे का न्यूज चैनल शुरू करना अपने आप में बड़ी चुनौती थी लेकिन इसे जिद से सफल बनाने की ठान ली थी और आज ZEE ग्रुप की मौजूदगी दुनियाभर के देशों में देखी जा सकती है.
जाने माने समाजसेवी नंद किशोर गोयनका के बड़े बेटे डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा तब रजत शर्मा जैसे नए पत्रकारों को अपने खर्च से इंग्लैंड प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था. पत्रकारों ने इसे एक चुनौतीपूर्ण कार्य बताया था लेकिन हमारी मेहनत का जल्द ही नतीजा मिलना शुरू हो गया. इसके बाद ZEE न्यूज का प्रसारण शुरू किया गया.
सुभाष चंद्रा ने अपने गृहनगर हिसार में कहा, उन्होंने जी न्यूज शुरू करने से पहले मुंबई में एस्सेल वर्ल्ड चलाया. इसके बाद राजनीति में आने का सपना देखा और राज्यसभा के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा बन गए. उनका कार्यकाल अगस्त में पूरा होने वाला है. उन्होंने एक किस्सा साझा करते हुए कहा कि एक बार हरियाणा के वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि राज्यसभा सदस्य बनने के लिए 100 करोड़ रुपये चाहिए तो आपने कितने लगाए थे? उन्होंने कहा, मैंने कुछ नहीं लगाया. मेरी कंपनी ने जरूर खर्च किए. वह भी बहुत कम रकम है.
डॉ. चंद्रा ने सीधे चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि जैसा समय और परिस्थितियां होंगी, वह फैसला लेंगे. सांसद निधि के सदुपयोग के सवाल पर डॉ. चंद्रा ने कहा कि सिर्फ कोरोनाकाल में ही राशि का उपयोग नहीं हुआ. कम से कम 18 करोड़ रुपए निजी कोष से भी खर्च किए हैं.
डॉ. चंद्रा ने पांच गांव गोद लिए हैं. उन्होंने इसकी स्थिति के बारे में कहा, उनकी तस्वीर बदल चुकी है. उन्होंने हिसार आने से पहले इन गांवों का दौरा किया है. ऑर्गेनिक खेती और किचन गार्डन को भी प्रोत्साहित किया गया है. इन गांवों के 20 युवा राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुके हैं.
उन्होंने भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा, एयरपोर्ट बनाने का आइडिया सफल रहा है. इसी के साथ रेलवे स्टेशन पर वाशिंग यार्ड बनवाया है. अब फूलों की खेती को बढ़ाने की योजना है.
आज की पत्रकारिता के बारे में उन्हेांने कहा कि पत्रकारों पर समय का दबाव बढ़ रहा है. फिर व्यावसायीकरण भी बढ़ता जा रहा है. इसके बावजूद चिंताजनक बात ये है कि खोजी पत्रकारिता खत्म होती जा रही है. ऐसी खबरों से शोषण के मामले उजागर होते थे और ये समाज में बदलाव पैदा करती थीं. इसके साथ ही सोशल मीडिया में शोषण के समाचार सामने आ रहे हैं. यह काफी चिंताजनक है.
हरियाणवी फिल्मों को देंगे सहयोग
हरियाणवी फिल्मों को बढ़ावा देने के बारे में डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा कि न तो हरियाणवी फिल्म आगे बढ़ीं और न ही प्रतिभाएं सामने आईं. कभी ऐसी स्थिति मराठी फिल्मों की भी थी. तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने ही हमारे जी न्यूज के कार्यक्रम में मराठी फिल्मों के लिए सहयोग मांगा था. हमने काफी सहयोग दिया. अब एक साल में 25-30 मराठी फिल्में बनने लगी हैं. उन्होंने कहा, हरियाणा में अच्छी फिल्में बनें, सहयोग की कोई कमी नहीं रहेगी.
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