डीएनए हिंदी: गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर जब देश आज लोकतंत्र को अधिक मजबूत करने की शपथ ले रहा है तो दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस (Congress) का आंतरिक लोकतंत्र एक बार फिर डांवाडोल स्थिति में दिख रहा है. मोदी सरकार (Modi Government) के गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को पद्म भूषण देने के प्रस्ताव ने कांग्रेस में दो फाड़ की स्थिति ला दी है. ऐसे में पार्टी सार्वजनिक रूप से बिखरी हुई प्रतीत हो रही है जिसके चलते इसे नरेंद्र मोदी सरकार की एक चाल की तरह भी देखा जा रहा है.
कांग्रेस में ही दो मत
दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार ने कल इस वर्ष के राष्ट्रीय पुरस्कारों की सूची जारी की तो इसमें एक नाम कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का भी था. गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित करने का प्रस्ताव दिया गया है. इस मौके पर सभी नेताओं ने इस कदम की तारीफ की है तो वहीं कांग्रेस में ही दो गुट बन गए हैं. एक तरफ जहां कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने गुलाम नबी आजाद को ही ‘गुलाम’ बताया है तो दूसरी ओर कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने आजाद को उनके कद के अनुरूप पार्टी में सम्मान न मिलने पर तंज कसा है.
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वरिष्ठ नेताओं में मतभेद
गुलाम नबी आजाद को सम्मान मिलने पर कपिल सिब्बल ने अपने ट्वीट में लिखा, “गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण, बधाई हो भाईजान. विडंबना यह है कि जब देश सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को मान्यता देता है तो कांग्रेस को उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है.” इस ट्वीट के जरिए सिब्बल ने खुलकर कांग्रेस पर ही आजाद को सम्मान न देने का आरोप लगाया है.
Ghulam Nabi Azad conferred Padam Bhushan
— Kapil Sibal (@KapilSibal) January 26, 2022
Congratulations bhaijan
Ironic that the Congress doesn’t need his services when the nation recognises his contributions to public life
गुलाम नबी आजाद के साथ ही पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य (Buddhadeb Bhattacharjee) को भी पद्म भूषण प्रस्तावित था लेकिन उन्होंने लेने से मना कर दिया. ऐसे में बुद्धदेव का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ही सहयोगी गुलाम नबी आजाद पर तंज कसा और कहा, “सही कदम उठाया, वह आजाद रहना चाहते हैं न कि ‘गुलाम’.”
Right thing to do. He wants to be Azad not Ghulam. https://t.co/iMWF00S9Ib
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 25, 2022
इसके अलावा कांग्रेस के जी-23 गुट के नेताओं ने जहां मोदी सरकार के फैसले पर खुशी जताई है तो वहीं दूसरे धड़े ने आजाद पर ही दबे मुंह हमला बोला है. ऐसे में कांग्रेस दो फाड़ होती दिख रही है.
मोदी सरकार की कुटिलता
साल 2014 में बनी नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान तीन वर्षों तक राष्ट्रपति पद भारत रत्न प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के पास था. इस दौरान उन्होंने अनेक मौकों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की जो कि कांग्रेस नेताओं को नहीं पची. मोदी सरकार के कार्यकाल में ही प्रणब दा को ‘भारत रत्न’ मिलना कांग्रेस के लिए झटका था. इसके अलावा उनकी किताब में भी कांग्रेस नेताओं की आलोचनाओं सहित पीएम मोदी की तारीफ थी. इसका असर यह था कि कांग्रेस इस किताब को रिलीज करने के खिलाफ थी.
ऐसे में यह प्रतीत हो रहा है कि जिस तरह से प्रणब दा का मोदी सरकार ने सम्मान करवाकर कांग्रेस को मुसीबतों में डाला, ठीक वैसे ही कदम अब सरकार गुलाम नबी आजाद के मुद्दे पर भी उठा रही है जिसके चलते कांग्रेस में ही आंतरिक फजीहत शुरू हो गई है.
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