डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना का दशकों से एक अलग ही वजूद था लेकिन एकनाथ शिंदे ने बगावत कर एक झटके में उसे तोड़ दिया. पार्टी की स्थापना से लेकर अब तक चुनाव चिह्न धनुष-तीर ही शिवसेना की पहचान था लेकिन उद्धव ठाकरे के पास अब उसे भी छीन लिया गया है. चुनाव आयोग ने शनिवार को अगले आदेश तक शिवसेना के सिंबल (EC freezes Shiv Sena symbol) पर रोक लगा दी. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट 3 नवंबर को होने वाले अंधेरी उपचुनाव में शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष-तीर का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी. इस फैसले को शिंदे गुट के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
जानकारों की माने तो एकनाथ शिंदे ने चुनाव चिह्न नहीं होने की वजह अंधेरी उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. भले ही यह मामला अभी तक चुनाव आयोग के पास था. शिंदे गुट चाहता था कि जल्द से जल्द चुनाव आयोग इस मामले में अपना फैसला सुनाए. जिससे वह उद्धव ठाकरे को झटका दे सके और बीजेपी को इससे फायदा हो. क्योंकि शिंदे को पता है कि पार्टी के सिंबल पर उसने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारा तो इसका फायदा उद्धव ठाकरे मिल सकता है. शिंदे को यह भी आशंका थी कि इस चुनाव चिह्न पर उसका उम्मीदवार हार जाएगा.
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शिंदे तलवार या गदा बना सकते हैं अपना सिंबल
आशंका जताई जा रही है कि शिवसेना का चुनाव चिह्न धनुष-तीर फ्रीज होने के बाद एकनाथ शिंदे तलवार को एक विकल्प चुन सकते हैं. दरअसल, इसकी आशंका इसलिए जताई जा रही है कि बीकेसी मैदान में दशहरा रैली के दौरान शिंदे ने मंच पर 51 फुट की तलवार की पूजा हुई थी. वहीं, अयोध्या के महंत ने उन्हें एक गदा भी भेंट किया था. ऐसे में चर्चा तेज शुरू हो गई है कि शिंदे गुट तलवार या फिर गदा को अपना चुनाव चिह्न बना सकता है.
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चुनाव आयोग 10 अक्टूबर तक देंगे होंगे नए चुनाव चिह्न
शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष-तीर फ्रीज करने के बाद चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को 10 अक्टूबर दोपहर 1 बजे तक अपने-अपने चुनाव चिह्न आयोग में पेश करने के लिए कहा है. दोनों पक्ष फ्री सिंबल्स में से अपनी पसंद प्राथमिकता के आधार पर बता सकेंगे. हालांकि, आयोग ने दोनों गुटों को ये छूट जरूर दी है कि वह अपने नाम के साथ चाहे तो सेना शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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Shiv Sena Symbol: 'मेरा नहीं तो किसी का नहीं...' एकनाथ शिंदे के लिए क्यों बड़ी जीत है EC का यह फैसला