डीएनए हिंदी: Women Suicide after 14 times forced Abortions in Delhi: देश की राजधानी दिल्ली में करीब एक चौथाई महिलाएं नहीं चाहतीं हैं उनकी कोख से लड़की पैदा हो. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (Centre for Media Studies) के एक सर्वे के मुताबिक राजधानी में 22 फीसदी महिलाएं इसलिए गर्भपात करवा रही हैं क्योंकि उनके कोख में कन्या का भ्रूण होता है. दिल्ली के मनीष भटनागर ने कुछ साल पहले सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कन्या भ्रूण हत्या की जानकारी हासिल की. इस सूचना के मुताबिक पिछले पांच सालों में 1,80,000 भ्रूण हत्याएं हुईं. मनीष का कहना है कि हमारे देश में गर्भ में पलने वाले बच्चे का लिंग पता करने के बाद कन्या भ्रूण की हत्या का प्रचलन है.
वंश बढ़ाने के विश्वास से होती है भ्रूण हत्या
कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जब जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि तथाकथित पढ़े-लिखे लोग भ्रूण हत्या में तब तक लिप्त रहते हैं जब तक उनकी जान आफत में ना पड़ जाए. इस खेल में पुरुष और स्त्रियां दोनों ही शामिल होती हैं. कई बार स्त्रियां बेटा पैदा करने और वंश बढ़ाने के लिए छह-सात बार तक भ्रूण हत्या को अंजाम देती है.
एक लाख गर्भपात पर 200 स्त्रियों की मौत
कन्या भ्रूण हत्या में बहुत सारी स्त्रियां इसलिए शामिल होती हैं क्योंकि मर्दवादी समाज उनकी कंडीशनिंग कुछ इस तरह से करती है परिवार और खानदान की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए पुत्र का होना जरूरी है. मर्दवादी ढांचे को बरकरार रखने के इस क्रूर खेल में औरतों को गर्भाशय रिमूव करवाना पड़ जाता है. गर्भाशय से बार-बार छेड़छाड़ से उन्हें रसौली और कैंसर तक का जोखिम उठाना पड़ता है. यह प्रक्रिया तब और भी खतरनाक हो जाती जब इसे असुरक्षित और अवैज्ञानिक तरीके से अंजाम दिया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार करीब 66 फीसदी गर्भपात असुरक्षित तरीके से अंजाम दिया जाता है. इस आंकड़े के मुताबिक एक लाख गर्भपात के दौरान कम से कम 200 स्त्रियों की मौत हो जाती है. एक हजार गर्भधारण करने वाली स्त्रियों में से 28 को गर्भपात करना पड़ता है.
बेटे की चाह में सात बार कराया पत्नी का गर्भपात
दिल्ली के रोहिणी इलाके में विजय शर्मा काल्पनिक नाम जो एक निजी बिजली कंपनी में काम करते हैं उनके दो बेटे हैं. बड़ा बेटा 11 साल का है जबकि छोटा बेटा 6 साल का. छोटे बेटे के पैदा होने से पहले विजय ने अपनी पत्नी का 7 बार गर्भपात करवाया. बार-बार गर्भपात करवाने के चलते पहले उनकी पत्नी को रसौली हुई और बाद में कैंसर से छुटकारा पाने के लिए उन्हें गर्भाशय निकलवाना पड़ा. उनकी पड़ोस में रहने वाली सुनीता दुखी होकर बताती हैं कि मेरे पड़ोसी की पत्नी हर साल गर्भपात करवाती है क्योंकि उनके पति और उनके ससुराल पक्ष के लोग संतान के रूप में हर हाल में बेटा ही पैदा करना चाहते हैं. औरत तो पुत्र प्राप्ति का एक टूल्स भर बनकर रह जाती हैं.
तीन दशक में 40 लाख कन्या भ्रूण हत्या
एक नए अनुसंधान के मुताबिक भारत में पिछले 30 सालों में कम से कम 40 लाख कन्या भ्रूण हत्याएं की गई है. अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका 'द लांसैट' में छपे इस शोध में दावा किया गया है कि ये अनुमान ज़्यादा से ज़्यादा 1 करोड़ 20 लाख भी हो सकता है.
भ्रूणों की पोस्टमार्टम के आधार पर रिपार्ट
दिल्ली में स्थित एम्स ने पहली बार वर्ष 1996-2012 के बीच पाए गए 238 मृत नवजात शिशुओं के भ्रूणों की पोस्टमार्टम रिपोर्टों का अध्ययन किया है. इस दौरान हुई कन्या भ्रूण हत्या की ओर इशारा करते हैं. एम्स के इस अध्ययन में कहा गया है कि इन 17 वर्षो में 35% मामले मृत जन्मे शिशु, 29 फीसद मामले जीवित पैदा हुए शिशु और 36 फीसद मामले समय पूर्व प्रसव के हैं. अध्ययन के अनुसार जीवित पैदा हुए अधिकतर शिशुओं की हत्या की गई थी और अधिकांश को सड़क किनारे छोड़ दिया गया था. इस अध्ययन के सह लेखकों में शामिल डॉ.सी बेहरा का कहना है कि कुल मामलों के संदर्भ में लड़कों की संख्या अधिक है लेकिन पांच माह के मृत भ्रूणों में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है. ब्रिटेन के ताजा मेडिको जर्नल में दावा किया गया है कि पहली बार इस प्रकार का अध्ययन भारत में फोरेंसिक जांच के आधार पर प्रकाशित किया गया है और यही वजह है कि इसके सभी पहलू सामने आए हैं. अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जीवित पैदा हुए शिशुओं के मामले में 77 फीसद की हत्या की गई, 19 फीसद की मौत प्राकृतिक थी तथा 1 फीसद की दुर्घटनावश मौत हुई है.
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