डीएनए हिंदी: कोविड-19 (Covid-19) के दौरान बड़े पैमाने पर 'रिमोट वर्किंग कल्चर' अपनाया गया लेकिन इसके मौजूदा दौर में आईटी कंपनियां एक अलग ही तरह की चुनौती से जूझ रही हैं. यह चुनौती है कर्मचारी द्वारा एक ही वक्त पर एक से ज्यादा कंपनियों में काम करने यानी मूनलाइटिंग (Moonlighting) की. कहा जा रहा है फुल टाइम डे जॉब वाले कई टेक प्रोफेशनल्स अब साइड प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं. कंपनियों को चिंता है कि इससे उनके रेवेन्यू और प्रोडक्टिविटी पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.
'भारत में है सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस की कमी'
इस बारे में बात करते हुए लॉ फर्म निशीथ देसाई एसोसिएट्स में एचआर लॉ प्रैक्टिस के प्रमुख विक्रम श्रॉफ कहते हैं कि भारत में सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस नहीं है. नियोक्ताओं के लिए यह पता लगाना मुश्किल है कि कोई कर्मचारी एक समय में कितनी कंपनियों के लिए काम कर रहा है.
उन्होंने कहा, भारतीय अदालतों ने भी माना है कि मूनलाइटिंग कर्मचारी की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. भारत में दोहरे रोजगार पर प्रतिबंध, कारखानों के लिए बने श्रम कानूनों और कुछ इंप्लॉयमेंट स्टैंडिंग आदेशों में शामिल हैं.
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'मामलों को पकड़ना मुश्किल है'
वहीं बिड़लासॉफ्ट (Birlasoft) के सीईओ धर्मेंद्र कपूर ने बताया, उन्हें शिकायत मिली है कि एक व्यक्ति सात कंपनियों के लिए समानांतर रूप से काम कर रहा था. उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि वह व्यक्ति कौन है और किन कंपनियों के लिए काम करता है. उसके पीएफ रिकॉर्ड में इंप्लॉयमेंट डिटेल्स हैं. कई सक्रिय पीएफ खाते मिलने के बाद, इसे एक फर्म के एचआर मैनेजर्स द्वारा पकड़ा गया लेकिन ऐसे मामलों को पकड़ना मुश्किल है.
बता दें कि टीसीएस, विप्रो सहित अधिकांश आईटी कंपनियों ने पहले जनवरी 2022 से अपने कार्यालय कोयले का फैसला किया था लेकिन ओमिक्रोन के संभावित खतरे को देखते हुए इसे रोक दिया गया. वहीं अब केंद्र सरकार ने सरकारी कार्यालयों को दोबारा शत-प्रतिशत शुरू करने का आदेश दे दिया है.
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