डीएनए हिंदी: चुनाव आयोग (Election Commission) ने शुक्रवार को शिवसेना (Shiv Sena) के नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ को एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया. लेकिन इसके बावजूद भी एकनाथ गुट संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है. शिंदे गुट ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग के इस आदेश के खिलाफ अगर उद्धव ठाकरे खेमे के द्वारा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी जाती है तो उनका पक्ष सुने बिना शीर्ष अदालत कोई आदेश पारित न करे.
बता दें कि उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी. उद्धव ठाकरे ने कहा था कि चुनाव आयोग का यह फैसला लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने ने दावा किया कि भारत में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह घोषणा करनी चाहिए कि देश में तानाशाही शुरू हो गई है. हम एकनाथ शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता देने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग का फैसला लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है. निर्वाचन आयोग के फैसले से संकेत मिलता है कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव जल्द ही घोषित किए जाएंगे.
ये भी पढ़ें- बाला साहेब की पार्टी, एकनाथ शिंदे को मिला अधिकार, शिवसेना बिना क्या करेंगे उद्धव ठाकरे?
क्या बोले एकनाथ शिंदे?
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग के इस फैसले को सच और लोगों की जीत बताया. उन्होंने कहा कि मैं निर्वाचन आयोग को धन्यवाद देता हूं. लोकतंत्र में बहुमत का महत्व होता है. यह सच्चाई और लोगों की जीत है और साथ ही यह बालासाहेब ठाकरे का आशीर्वाद भी है. हमारी शिवसेना वास्तविक है. सीएम शिंदे ने कहा कि हमने बालासाहेब के विचारों को ध्यान में रखते हुए पिछले साल महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई.
Shiv Sena Symbol Row: शिंदे गुट को क्यों सौंपी 'शिवसेना' की कमान? चुनाव आयोग ने बताई फैसले की वजह
शिंदे गुट के पक्ष में पड़े 76% वोट
चुनाव आयोग ने अपने 78 पन्नों के आदेश में पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी का चिह्न ‘तीर-कमान’ एकनाथ शिंदे गुट को सौंपा दिया. आयोग ने कहा कि साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 विजयी उम्मीदवारों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों के पक्ष में लगभग 76 फीसदी मत पड़े. जबकि 23.5 प्रतिशत मत उद्धव ठाकरे धड़े के विधायकों को मिले थे. आयोग ने कहा कि प्रतिवादी (ठाकरे गुट) ने चुनाव चिह्न और संगठन पर दावा करने के लिए पार्टी के 2018 के संविधान पर बहुत भरोसा किया था, लेकिन पार्टी ने संविधान में संशोधन के बारे में आयोग को सूचित नहीं किया था.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
शिवसेना की कमान मिलने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा शिंदे गुट? अब किस बात का सता रहा डर