डीएनए हिंदी: Delhi University में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है. जल्द ही कॉलेज खुलने वाला है और आपको अपने टीचर्स और दोस्तों से मुलाकात करने का मौका मिलने वाला है. छात्रों के लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने यह घोषणा की. इस फैसले से छात्र बेहद खुश हैं और कॉलेज जाने को लेकर एक्साइटेड हैं.
इस खबर पर जह हमने स्टूडेंट्स से बात की तो मिरांडा हाउस के बीए. प्रोग्राम की छात्रा संजना मिश्रा ने कहा, दिल्ली विश्वविद्यालय में 17 फरवरी से क्लासेज शुरू हो रही हैं इसकी औपचारिक घोषणा से पहले लगता था कि घर से कहीं दूर घूमने चले जाएं लेकिन अब जब कॉलेज खुल रहे हैं तो लग रहा है कि घर से दूर कैसे रहूंगी?
बीए. प्रोग्राम की फर्स्ट ईयर की छात्रा शुभांगी श्री ने कहा, मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरा दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज में एडमिशन हो पाएगा. कॉलेज में एडमिशन मिलने के बाद मुझा लगा कि मैं कोई सपना देख रही हूं. जब कॉलेज करीब दो साल तक बंद रहे तो मैंने यह उम्मीद करनी बंद कर दी थी कि मैं कॉलेज जाकर क्लास ले पाउंगी. मैं कॉलेज शुरू होने की खबर से बहुत खुश हूं.
प्रशंसा आर्या ने कहा, यह हमारे लिए बहुत खुशी का मौका है. आखिरकार छात्रों के प्रदर्शन का फल मिल गया है. सब इस फैसले से खुश हैं लेकिन अभी उन छात्रों को मुश्किल होगी जो दिल्ली से बाहर के हैं. क्योंकि इतनी जल्दी रहने के लिए घर ढूंढना कोई आसान काम नहीं है. नए शहर में एडजस्ट करने में थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ती है लेकिन मुझे लगता है कि यह सब बेकार नहीं है क्योंकि आखिरकार हमें अपने सुंदर कॉलेज कैंपस में क्लास लेने का मौका मिलेगा. अपने दोस्तों, सीनियर्स और टीचर्स से मिलने का मौका मिलेगा.
सेंट स्टीफेंस कॉलेज के बी. ए. (हिस्ट्री) फर्स्ट ईयर के छात्र इशान लाल भी कॉलेज जाने को लेकर बेहद एक्साइटेड हैं. वह कहते हैं कि मोबाइल और लैपटॉप से नॉलेज तो मिल रही होती है लेकिन टीचर से एक कनेक्शन नहीं बन पाता कि आप सवाल दिमाग में आते ही पूछ पाएं. यह थोड़ा बोरिंग और थकाऊ था वहीं कॉलेज की एनर्जी कुछ अलग ही होती है.
कॉलेज खुलने को लेकर जितनी एक्साइटमेंट और खुशी छात्रों में है उससे कहीं ज्यादा जोश टीचर्स में है. जब हमने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में संस्कृत के प्रोफेसर पंकज मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा, मैं कॉलेज जाने के लिए स्टूडेंट्स से ज्यादा एक्साइटेड हूं. खासतौर पर उन बच्चों से मिलने के लिए जिनका एडमिशन तो हो गया लेकिन न उन्होंने कभी हमें देखा और न हमने कभी उन्हें देखा. दुनिया चाहे चांद पर क्यों न चली जाए लेकिन फेस टु फेस लर्निंग और टीचिंग की जगह कोई मोड नहीं ले सकता. ऑनलाइन टीचिंग पढ़ाने के नाम पर केवल खानापूर्ति है इसलिए यह फैसला बहुत ही अच्छा फैसला है. सभी को इस फैसला का स्वागत करना चाहिए. भगवान से प्रार्थना है कि इस तरह का नैचुरल थ्रेट दोबारा न आए और सबकुछ ट्रैक पर लौट आए.
हिंदू कॉलेज के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पल्लव ने कहा, यह सचमुच जरूरी था. हम सबने इसका खूब इंतजार किया. ऑनलाइन क्लास हो रही थीं और पढ़ाई भी हो रही थी लेकिन यह सब वैसा ही था जैसे आम खाने की इच्छा को इमली से पूरा किया जाए. अब कॉलेज में क्लास के साथ वे सभी गतिविधियां भी हो सकेंगी जिनकी वजह से कॉलेज शिक्षा का महत्त्व है.
शहीद भगत सिंह कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर केदार प्रसाद मीणा ने कहा, कॉलेज खुलने ही चाहिए अब क्योंकि इन दो साल में अकादमिक मिजाज ही जैसे संकीर्ण होता जा रहा है, शिक्षकों का भी और छात्रों का भी. यह संकीर्णता अकादमिक प्रगतिशीलता और बेहतरी में बाधा साबित हो रही है, छात्र अगर विद्वान् शिक्षकों (मेरे जैसे भले ही नहीं) के संपर्क में न रहेंगे तो देश में फैला पड़ा राजनीतिक प्रतिक्रियावाद और संस्कारों के नाम पर समाज में फैली पड़ी जड़ता इस दौर के छात्रों को खूंखार मूर्ख नागरिक बना देगी और ऐसे भावी नागरिक बहुत कुछ अच्छे को बर्बाद करेंगे. जड़ताओं को थोपेंगे यह कहकर कि क्या हम अशिक्षित हैं, अरे हम भी तो पढ़े-लिखे हैं ! 🙂 इसलिए अब कॉलेज खुलने ही चाहिए ताकि मानक ढंग से शिक्षा दी और ली जा सके.
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Delhi University: दो साल बाद खुलेंगे कॉलेज, खुशी से स्टूडेंट-टीचर बोले- बेहद जरूरी था फैसला