डीएनए हिंदी: साल 1997 में दिल्ली के कनाट प्लेस (राजीव चौक) में एक फेक एनकाउंटर हुआ था. दिल्ली पुलिस ने हरियाणा के दो कारोबारियों की हत्या कर दी थी और एक कारोबारी घायल हुआ था. अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला दिया है कि घायल कारोबारी को मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये दिए जाएं. साथ ही 25 साल के लिए इस राशि पर 8 प्रतिशत की दर से ब्याज भी चुकाया जाए.
बात 31 मार्च 1997 की है. तत्कालीनी ACP सत्यवीर सिंह राठी की अगुवाई में कार सवार कारोबारियों का उनकाउंटर किया गया. बाद में पुलिस ने कहा कि गैंगस्टर यासीन समझकर गलती से एनकाउंटर किया गया. पुलिस ने अपने बचाव में झूठी कहानी गढ़ दी कि कार में से भी गोली चलाई गई थी.
फर्जी थी कारोबारियों के गोली चलाने की बात
सीबीआई जांच में साबित हुआ है कि कार में से कोई गोली नहीं चलाई गई थी, बल्कि पुलिस ने ही कार में पिस्टल रख दी थी. सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को पहले ही उम्रकैद की सजा हो चुकी है.
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इस एनकाउंटर में कारोबारी प्रदीप गोयल और जगजीत सिहं की जान चली गई थी और तरुण प्रीत घायल हो गए थे. अब हाई कोर्ट ने कहा है कि उस समय तरुण की उम्र सिर्फ़ 20 साल की थी और पुलिस के चलते उनका जीवन तबाह हो गया.
एक करोड़ रुपये की थी मांग
बताया गया कि जगजीत और प्रदीप के परिवारों को साल 2011 में 15-15 लाख और तरुण को साल 1999 में एक लाख रुपये का मुआवजा मिला था. एनकाउंटर में घायल हुए तरुण प्रीत अब विकलांग हैं. पिछले 25 सालों से कष्ट में जीवन काट रहे तरुण प्रीत की ओर से एक करोड़ रुपये का मुआवजा मंगा गया था.
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25 साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए 15 लाख रुपये का मुआवजा और 25 साल के लिए आठ फीसदी ब्याज चुकाने का फैसला दिया है. इस तरह तरुण को कुल मिलाकर लगभग 45 लाख रुपये मिलेंगे. हाई कोर्ट की जज प्रतिभा एम सिंह ने निर्देश दिए हैं कि आठ हफ्ते के अंदर-अंदर मुआवजे की राशि का भुगतान कर दिया जाए.
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Delhi Police के फेक एनकाउंटर में घायल हुआ था कारोबारी, 25 साल बाद मिलेगा 45 लाख का मुआवजा