डीएनए हिंदी : दुनिया में सैन्य ताकत का विस्तार करने में भारत तीसरे नबंर पर आता है लेकिन उसके आगे खड़े दोनों मुल्कों की रफ्तार की तुलना में भारत काफी सुस्त है. सैन्य ताकत से जुड़ी इस लिस्ट में पहले नंबर पर अमेरिका (US) और दूसरे नंबर पर चीन (China) है. वहीं भारतीय रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने स्वीकारा है कि भारतीय वायुसेना (IAF) के पास चीन से मुकाबले के लिए लड़ाकू विमानों की भारी कमी है. वहीं मंत्रालय ने कहा है कि चीन सैन्य ताकत के मामले में अमेरिका की बराबरी करने के प्रयास कर रहा है इसलिए भारत को भी अपनी सैन्य ताकत में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है. 

रक्षा मंत्रालय का बड़ा बयान

रक्षा मंत्रालय ने संसदीय समिति की एक बैठक में पहली बार ये स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया है कि चीन US की बराबरी कर रहा है. इसके चलते चीन और पाकिस्तान से जिस प्रकार दोहरे मोर्चे पर खतरा उत्पन्न हो चुका है उसके हिसाब से वायुसेना (IAF) के पास लड़ाकू विमानों की कमी है. 

दो मोर्चों पर लड़ाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं लड़ाकू विमान

गौरतलब है कि यह चर्चा IAF को दिए जाने वाले बजट को लेकर हो रही थी जिस पर रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि अभी हमारे पास लड़ाकू विमानों की जो संख्या है वह दो प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं है. उनके मुकाबले के लिए वायुसेना को लंबी दूरी के हथियारों की खरीदारी करनी होगी. इसके लिए मौजूदा बजट संसाधनों का इस्तेमाल तो किया ही जाएगा, बल्कि अतिरिक्त धन की जरूरत भी पड़ेगी. यह मौजूदा आपरेशनल क्षमता को कायम रखने के लिए भी जरूरी है. 

चीन से भारत को है बड़ा खतरा

रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि चीन बहुत ज्यादा रक्षा पर खर्च कर रहा है. इसलिए उसके खतरे का दायरा भी बहुत बड़ा है. वास्तव में वह अमेरिका की से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है. रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि रक्षा मंत्री का आदेश है कि भारत के पास चीन के प्रतिरोध की क्षमता होनी चाहिए. इसके हिसाब से सरकार आवंटन कर रही है लेकिन अभी भी कुछ कमियां बरकरार हैं जिन्हें धीरे-धीरे कम करना होगा.

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क्या हैं भारत की मुश्किलें ?

जानकारी के मुताबिक वायुसेना (IAF) को दोहरे फ्रंट की चुनौतियों से निपटने के लिए लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है लेकिन इस समय 32 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध हैं. एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं. इस प्रकार वायुसेना के पास अभी 180 लड़ाकू विमानों की कमी है. वहीं अहम बात यह भी है कि चार स्क्वाड्रन मिग के हैं जो पुराने हैं और जल्द ही उन्हें रिटायर भी किया जा सकता है. 

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Defense Ministry worried about acute shortage of fighter jets in IAF, China can be a big trouble
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IAF के पास करीब 180 विमानों की कमी है
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