डीएनए हिंदी : दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए पिछले साल 2 स्मॉग टॉवर लगाए गए थे. इनमें से एक एक दिल्ली सरकार ने लगाया था और दूसरा केंद्र सरकार ने. इन टावर्स के बारे में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट(CSE) का कहना है कि करोड़ों की लागत से बने इन स्मॉग टावर्स(Smog Towers) को लगभग एक किलोमीटर के रेडियस में प्रदूषित हवा को साफ करना था. हवा में तब्दील करना था लेकिन ये टावर 80 मीटर के एरिया को भी साफ नही कर रहे हैं. क्या कहना है CSE का जानिए -
आनंद विहार और कनॉट प्लेस में लगे हैं टॉवर
प्रदूषण(Pollution) से निपटने के लिए 23 अगस्त 2021 को दिल्ली सरकार ने राजधानी के कनॉट प्लेस इलाके में देश के पहले स्मॉग टावर को इंस्टॉल किया था. इसी कड़ी में 7 सितंबर को केंद्र सरकार ने भी दिल्ली के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के पास देश का दूसरा स्मॉग टावर इंस्टॉल किया था. इसका उद्देश्य आने वाले महीनों में प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से लोगों को राहत दिलवाना था. फिलहाल इन दोनों स्मॉग टावर की शुरआत हुए 6 से 7 महीने बीत चुके हैं और CSE की दावे के मुताबिक़ ये अपने 80 मीटर आसपास की परिधि में भी हवा नहीं साफ़ कर पा रहे.
करोड़ों की शुरूआती लागत के साथ लाखों का मासिक खर्च
देश की राजधानी दिल्ली लंबे समय से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में एक मानी जा रही है. माना जाता है कि दिल्ली के प्रदूषण के पीछे मुख्य वजह ऑटोमोबाइल और पावर प्लांट्स के एमिशन्स, इनडोर पॉल्यूशन और निकटवर्ती राज्यों के किसानों के द्वारा पराली जलाना है. हर साल केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार प्रदूषण(Pollution) की समस्या से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करती है फिर भी कई लोगों को प्रदूषण से होने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस पर चिंता जताते हुए CSE ने कहा है कि दोनों टावर को बनाने में 40 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. साथ ही हर महीने इनके रख-रखाव पर लाखों का खर्च आता है. CSE के सीनयर प्रोग्राम मैनेजर विवेक चटोपाध्याय का कहना है कि इतने खर्च के बाद भी अगर ये टावर दिल्ली की प्रदूषित हवा को साफ नहीं कर पा रहे हैं तो फिर इन्हें लगाने का कोई मतलब नहीं है.
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1 किमी के दायरे में हर 100 मीटर पर लगे हैं सेंसर
दिल्ली में लगे स्मॉग टावर(Smog Towers) के द्वारा हवा को साफ करने के लिये इस टावर के 1 किमी के दायरे में हर 100 मीटर सेंसर लगाए गए हैं जो ये चेक करके अपनी पहली रिपोर्ट जून 2022 में देंगे कि आखिर अगस्त 2021 से जून 2022 तक कितने एरिया को इस टावर ने प्रदूषण से मुक्त किया. हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से आनंद विहार में लगाये गए टावर की रिपोर्ट भी CPCB जुलाई में पेश कर सकता है, जिससे ये साफ हो सकेगा कि ये टावर प्रदूषण दूर करने में कितने कारगर हैं.
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