डीएनए हिंदी: कोविड-19 संक्रमण के एक सब वेरिएंट JN.1 के मामले तेजी से देश में बढ़ रहे हैं. यह वेरिएंट तेजी से फैलता है. दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स इस वेरिएंट को लेकर डरे हुए हैं. पर क्या यह चिंताजनक है, अगर नहीं तो कब यह चिंताजनक हो सकता है, आइए समझते हैं. JN.1 वेरिएंट केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में कहा, 'JN.1 कई देशों में तेजी से फैल रहा है. यह तेजी से दुनियाभर में फैल रहा है. यह वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट है, इसलिए दुनियाभर में लोग इसके बढ़ते मामलों पर नजर रख रहे हैं. WHO का कहना है कि JN.1 वेरिएंट के स्वास्थ्य प्रभाव को जानने के लिए अभी और अध्ययन की जरूरत है. आइए जानते हैं यह कितना खतरनाक है.
कितना खतरनाक है JN.1?
JN.1 अभी तक हल्के लक्षणों वाला वेरिएंट नजर आ रहा है. ICMR की पूर्व महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने गुरुवार को कहा कि अब तक, इसे साबित करने के लिए कोई डेटा नहीं है कि यह वेरिएंट जेएन.1 अधिक गंभीर है. उन्होंने कहा, 'हमें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हमारे पास यह सुझाव देने के लिए कोई डेटा नहीं है कि यह वैरिएंट जेएन.1 अधिक गंभीर है या यह अधिक निमोनिया जैसा है. या इसकी वजह से मौतें हो सकती हैं.'
WHO की अधिकारी मारिया वान केरखोव ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ तैयार हर वैक्सीन बीमारी और मृत्यु से सुरक्षा देने में सक्षम है. उन्होंने कहा है कि इसमें JN.1 सहित सभी प्रसारित वेरिएंट शामिल हैं. XBB.1.5 मोनोवैलेंट टीकों की सुरक्षा JN.1 के खिलाफ भी प्रभावी ही रहेगी.
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WHO ने यह भी कहा है कि ओमिक्रोन सबलाइनेज की तुलना में राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ बढ़ने की संभावना नहीं है. हालांकि, चिंता करने लायक भी कुछ वजहें हैं. आइए जानते हैं-
1. JN.1 बेहद तेजी से फैलता है. लगातार SARS-CoV-2 सीक्वेंसिंग डेटा शेयर के साथ यह वेरिएंट हर जगह तेजी से फैल रहा है, इसके केस दुनियाभर में सामने आ रहे हैं.
2. JN.1 उच्च प्रतिरक्षा चोरी गुण प्रदर्शित कर सकता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जेएन.1 की प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता परीक्षण की गई आबादी की प्रतिरक्षा पृष्ठभूमि पर निर्भर करती है।
3. WHO का कहना है कि जिन देशों में ठंड पड़ रही है, वहां SARS-CoV-2 और इन्फ्लूएंजा, फ्लू, राइनोवायरस जैसे सांस संबंधी रोग वैसे ही बढ़ सकते हैं. ऐसी स्थिति में जेएन.1 के मामले भी बढ़ें तो यह अप्रत्याशित नहीं है.
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कोविड-19 कब हो जाता है खतरनाक?
चीफ पब्लिक हेल्थ एंड पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा है कि कोविड-19 की कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, हर किसी को इस पर अलर्ट होने की जरूरत है.
- अगर किसी क्षेत्र में कोई नए म्युटेशन और क्लस्टरिंग के मामले सामने आए हैं.
- संक्रमण की गंभीरता में वृद्धि हो रही हो.
- कोविड-19 के लक्षणों में बदलाव आ रहो.
- अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में वृद्धि हो.
- मृत्यु दर में अचानक बढ़ने लगे.
क्या हमें है डरने की जरूरत?
नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य वीके पॉल ने कहा है कि जेएन.1 वैरिएंट के कारण कोविड मामलों में वृद्धि हुई है लेकिन गंभीर बीमारियों में इजाफा नहीं हुआ है. संक्रमित लोगों को हल्की खांसी और बुखार आ रहा है. यह वही वायरस है जो दूसरे देशों में भी तेजी से फैल रहा है. हमें डरने की जरूरत नहीं है.
सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि अभी तक वैसे ही कोविड प्रोटोकॉल अपनाने की जरूरत है, जिसे हम अपनाते आए हैं. बहुत कुछ नहीं बदला है. एक या दो नए म्युटेशन सामने आए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हमें इस पर नजर रखने की जरूरत है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ दोहराते रहे हैं कि घबराने या चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि भारतीय स्वास्थ्य अधिकारी और सरकार वायरस पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं. कुछ राज्यों और जिला प्रशासनों ने कोविड प्रोटोकॉल अपनाने की सलाह दी है. लोगों से भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचने को कहा है.
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तेजी से फैल रहा JN.1, कब है डरने की जरूरत, कितना खतरनाक?