डीएनए हिंदी: Chandrayaan-3 News- करीब 41 दिन लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारत के चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है. चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग करते ही भारत चंदामामा पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही ऐसा कर सके हैं. इससे भी बड़ी बात है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला भारत दुनिया का पहला देश है यानी भारतीय चंद्रयान से पहले यह कारनामा कोई नहीं कर पाया है. बुधवार (23 अगस्त) की शाम को 19 मिनट के 'टैरर टाइम' के बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के डायरेक्टर एस. सोमनाथ ने पूरे देश को वह खुशखबरी दी, जिसका इंतजार 14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लॉन्च होने के बाद से हर भारतवासी कर रहा था. इसरो चीफ ने चंद्रयान-3 के लैंडर के सफल लैंडिंग की जानकारी दी, लेकिन साथ ही ये भी ऐलान किया कि मिशन अब तक पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने दुनिया को बताया कि इस मिशन में अगले 14 दिन बेहद अहम हैं.
क्या कहा इसरो चीफ ने
ISRO के डायरेक्टर एस. सोमनाथ ने चांद पर सफल लैंडिंग की घोषणा की. उन्होंने कहा, मिशन के अगले 14 दिन हमारे लिए बेहद अहम हैं. विक्रम लैंडर के पेट से प्रज्ञान रोवर को बाहर आने में करीब एक दिन का समय भी लग सकता है. प्रज्ञान हमें चांद के वातावरण के बारे में जानकारी देगा. उन्होंने इसरो की आगामी योजनाओं के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, जल्दी ही सूर्य पर आदित्य एल1 मिशन भेजा जाएगा. इसके बाद गगनयान को भी जल्द ही लॉन्च करने की तैयारी चल रही है. इसरो के कई अन्य मिशन भी कतार में हैं.
#WATCH | "India is on the Moon": ISRO chief S Somanath as Chandrayaan 3 lander module Vikram makes safe and soft landing on the Moon pic.twitter.com/5xEKg0Lrlu
— ANI (@ANI) August 23, 2023
लैंडिंग के बाद अब पहले ये होगा
विक्रम लैंडर की लैंडिंग के बाद अब उसके अंदर रखे प्रज्ञान रोवर के बाहर आने की प्रोसेस शुरू होगी. प्रज्ञान रोवर ही एक तरीके से चांद की सतह पर भारतीय वैज्ञानिक की तरह काम करेगा. लैंडर की लैंडिंग के कारण चांद की सतह पर धूल का गुबार उठा है. इसे शांत होने में 3 से 4 घंटे का वक्त लगता है. प्रज्ञान रोवर धूल का गुबार शांत होने के बाद ही लैंडर के दरवाजे खुलने पर बाहर निकलेगा. हालांकि कई बार यह गुबार एक दिन तक भी उठा रहता है. इसी कारण इसरो चीफ ने प्रज्ञान रोवर के बाहर आने में एक दिन तक का समय लगने की बात कही है. लैंडर का दरवाजा खुलने के बाद रोवर को बाहर आने में 45 मिनट से 1.50 घंटे तक का समय लग सकता है. रोवर के पहिए चांद की सतह पर जहां भी चलेंगे, वहां-वहां भारत का अशोक स्तंभ चिह्न और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे. इसके अलावा लैंडर और रोवर एक-दूसरे की फोटो खींचकर इसरो कमांड सेंटर को भेजेंगे. इस दौरान रोवर से लेजर लाइट निकलेगी, जो भारत का झंडा बनाएगी.
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'Chandrayaan-3 मिशन के अगले 14 दिन अहम' जानें सफल लैंडिंग के बाद क्यों कही इसरो चीफ ने ये बात