डीएनए हिंदी: केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) बीते कुछ सालों में अपनी छापेमारियों की वजह से लगातार चर्चा में है. बड़े-बड़े नेताओं, कारोबारियों और मशहूर हस्तियों के यहां सीबीआई की छापेमारी (CBI Raid) हो चुकी है. इसके बावजूद सजा दिलाने के मामले में सीबीआई पिछड़ती जा रही है. बीते दो सालों में सीबीआई का सक्सेस रेट (CBI Success Rate) दो प्रतिशत और कम हो गया है. पहले जो सक्सेस रेट 69.83 प्रतिशत था वह घटकर 67.56 प्रतिशत हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में कमी और सबूतों के अभाव की वजह से सीबीआई के कई केस अदालतों में टिक नहीं पा रहे हैं.

सीबीआई सिर्फ छोटी मछलियों को सजा दिलवाने तक ही सीमित होकर रह गई है. कभी भ्रष्टाचार विरोधी मामलों के लिए देश की सबसे बेहतर जांच एजेंसी कही जाने वाली सीबीआई अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बढ़ते प्रभाव के मुकाबले कमजोर साबित हो रही है. जांच में कमी और सबूतों के आभाव में सीबीआई के ज्यादातर केस ऊपरी अदालतों में खारिज हो जा रहे हैं या फिर आरोपी आसानी से छूट जा रहे हैं.

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सजा दिलाने में आई कमी, छूट जा रहे आरोपी
राष्ट्रीय सतर्कता आयोग की हाल में सामने आई रिपोर्ट बताती है कि साल 2021 में सीबीआई की ओर से दर्ज किए गए मामलों में सजा दिलाने की दर यानी कनविक्शन रेट 2 फीसदी से ज्यादा गिरा है. 2020 में यह दर 69.83 प्रतिशत थी तो साल 2021 में ये 67.56 प्रतिशत रह गई. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में अदालत ने सीबीआई से जुड़े 360 मामलों में अपना फैसला सुनाया था. इनमें से 202 मामलों में आरोपियों को सजा दी गई जबकि 82 मामलों में आरोपी दोषमुक्त हो गए. 15 मामलों को बर्खास्त किया गया. वहीं, 61 मामले अन्य प्रकार से निपटाए गए. 

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हालांकि, इनमें से ज्यादातर मामले निचली अदालत के हैं. वहीं जब ऊपरी अदालत में सीबीआई के केस जाते हैं तो ना सिर्फ सफलता की दर कम हो जाती है, बल्कि ज्यादातर मामलों में सबूतों के आभाव में उसे हार का सामना भी करना पड़ता है. बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के सामने सीबीआई ने एक हलफनामा दायर करके कहा था कि वह अगस्त 2022 तक सीबीआई की सफलता दर 75 फीसदी तक करेंगे. मगर 2021 के आंकड़े ही बता रहे हैं कि सीबीआई की सफलता दर पिछले साल ही कम हो गई है.
2022 के आधिकारिक आंकड़े आना अभी बाकी हैं.

20 साल से पेंडिंग में पड़े हैं कई केस
गौर करने वाली बात है कि साल 2021 के अंत तक सीबीआई जांच से जुड़े भ्रष्टाचार के करीब 6697 मामले अभी अदालतों में लंबित हैं. यही नहीं इनमें से 275 मामले तो ऐसे हैं, जो 20 साल से अदालतों में लंबित पड़े हुए हैं. कई मामलों में सीबीआई ने अपनी जांच और चार्जशीट दायर करने में काफी वक्त लग दिया. राष्ट्रीय सतर्कता आयोग ने कहा कि सीबीआई को पंजीकृत मामलों की जांच एक साल के भीतर करनी होती है. हालांकि, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने ये भी बताया है कि मामले लंबित होने की वजह देरी से चार्जशीट, काम का अत्यधिक बोझ, कोविड-19 और स्टाफ की कमी भी है.

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अपने विभाग के अधिकारियों की जांच में ढीला रवैया
जब बात अपनों की जांच करने की आती है तो सीबीआई और भी ढीला रवैया अपनाते हुए दिखाई देती है. राष्ट्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्ट बताती है कि साल 2021 के अंत तक के आंकड़ों के हिसाब से विभागीय कार्रवाई के 75 मामले खुद सीबीआई के अधिकारी और कर्मचारियों पर चल रहे हैं. इन 75 मामलों में 55 मामले सीबीआई के ग्रुप ए अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही से जुड़े हैं जबकि 20 मामले ग्रुप बी और सी कर्मचारियों की विभागीय कार्यवाही को लेकर लंबित थे. गौर करने वाली बात है कि इनमें सीबीआई के ग्रुप ए के 55 लंबित मामलों में 27 मामले पिछले 4 साल से ज्यादा समय से लंबित हैं. वहीं, ग्रुप बी और सी के 20 मामलों में 9 ऐसे हैं, जो 4 साल से ज्यादा समय से लंबित हैं यानी सीबीआई अपने ही अधिकारियों की विभागीय जांच करने में सालों लगा रही है.

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हाई प्रोफाइल मामलों में नहीं मिली कामयाबी
आइए, अब जानते हैं उन हाई प्रोफाइल मामलों के बारे में जिनमें सीबीआई या तो पूरी तरह नाकाम रही है या फिर जांच को लेकर कोर्ट द्वारा जमकर फटकार लगाई गई है.

  1. 2G केस में सजा नहीं दिला पाई एजेंसी: यूपीए 2 सरकार में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला पूरे देश में चर्चा का विषय बना था. इस केस में सीबीआई ने 4 अलग-अलग मामलों में लाखों पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. इस केस में एक भी आरोपी को सजा नहीं हुई. इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा समेत कई आरोपी थे. सभी आरोपी बरी हो गए.
  2. कोल स्कैम में भी सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच पर सवाल उठे थे. कर्नाटक के बेल्लारी में कथित अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दर्ज की थी. कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया था.
  3. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच भी सीबीआई कर रही है. दो साल हो गए लेकिन अभी तक कोई खास निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. सुशांत सिंह राजपूत 14 जून 2020 को मुंबई स्तिथ अपने घर में मृत पाए गए थे.
  4. आरुषि तलवार केस: नोएडा के आरुषि तलवार दोहरे हत्याकांड में भी सीबीआई ने लंबी जांच की. हाई कोर्ट ने आरोपियों को सबूतों के आभाव में बरी कर दिया. आरुषि तलवार और नौकर हेमराज की लाश साल 2008 में उसके ही घर में पाई गई थी.

ये कुछ ऐसे मामले हैं, जिन्होंने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था लेकिन जांच एजेंसी सीबीआई यहां नाकाम ही साबित हुई.

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CBI conviction rate decreases in two years lack of evidence creating problem
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छापेमारी तो खूब कर रही CBI लेकिन सजा दिलाने में आ रही कमी, सबूतों के अभाव में नह
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छापेमारी तो खूब कर रही CBI लेकिन सजा दिलाने में आ रही कमी, सबूतों के अभाव में नहीं टिक रहे केस